जलवायु परिवर्तन से फलों पर भी पड़ सकता है असर, आने वाले समय में मिलने हो जाएंगे मुश्किल
लंदन में एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यदि जलवायु परिवर्तन तेजी से बढ़ता रहेगा तो भविष्य में कई फल मिलने मुश्किल हो जाएंगे।
लंदन, पीटीआइ। जलवायु परिवर्तन के कारण हिमखंड तो पिघल ही रहे हैं। अब इसका असर फलों पर भी देखने को मिल सकता है। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यदि जलवायु परिवर्तन की दर इसी गति से बढ़ती रही, तो भविष्य में कई फल मिलने मुश्किल हो जाएंगे। जिसमें खौस तौर से केले को लेकर शोधकर्ताओं ने तमाम आशंकाएं जाहिर की हैं। उनका कहना कि जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षो में केले का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले देश भारत में भी असर देखने को मिल सकता है।
कई रिपोर्टो में जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र में पड़ने वाले प्रभावों की जांच में यह बात सामने आई है कि बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा चक्र के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की फसलों, खासतौर पर केले की खेती को भारी नुकसान हो सकता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के डेन बीबर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने दुनिया के प्रमुख केला उत्पादक और निर्यातक देशों पर जलवायु परिवर्तन के वर्तमान और भविष्य के प्रभावों का अध्ययन किया।
अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 1961 के बाद 27 देशों में केले की खेती औसतन वृद्धि हुई थी। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में केले के उत्पादन के लिए परिस्थितियां अनुकूल रही होंगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि इन देशों में विश्व का 86 फीसद केले का उत्पादन किया जाता है।
10 देशों में पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
‘नेचर क्लाइमेट’ नामक पत्रिका में प्रकाशित में अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यदि जलवायु परिवर्तन इसी दर से बढ़ता रहा तो भविष्य में कई फल मिलने मुश्किल हो जाएंगे और केला तो वर्ष 2050 के बाद गायब हो सकता है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि आने वाले वर्षो में 10 देशों में केले की खेती पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा। इसमें विश्व में केले का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश भारत और चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश ब्राजील भी शामिल है।
अफ्रीक देशों में बढ़ेगी पैदावार
अध्ययन में कहा गया है कि कुछ देशों में, खासतौर से केले का सबसे बड़ा निर्यात देश इक्वाडोर और होंडुरास के साथ-साथ कई अफ्रीकी देशों में केले की पैदावार अच्छी हो सकती है। बीबर ने कहा ‘हम केले पर फ्यूजेरियम विल्ट जैसी बीमारियों के प्रभाव के बारे में बहुत चिंतित हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है।’ उन्होंने कहा कि हमारा अध्ययन केले का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई देशों को निवेश के लिए प्रेरित कर सकता है।
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