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कोरोना वैक्‍सीन के रिसर्च का हिस्सा बनीं भारतीय मूल की वैज्ञानिक, कोलकाता की हैं रहने वाली

कोलकाता में जन्मी चंद्रबाली दत्ता विश्वविद्यालय के जेन्नेर इंस्टीट्यूट में क्लीनिकल बायोमैन्चुफैक्चरिंग फैसिलिटी में काम करती हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 07:45 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 10:15 PM (IST)
कोरोना वैक्‍सीन के रिसर्च का हिस्सा बनीं भारतीय मूल की वैज्ञानिक, कोलकाता की हैं रहने वाली
कोरोना वैक्‍सीन के रिसर्च का हिस्सा बनीं भारतीय मूल की वैज्ञानिक, कोलकाता की हैं रहने वाली

लंदन, प्रेट्र। कोरोना का टीका बनाने वाली परियोजना पर काम कर रही ऑक्सफोर्ड विवि की टीम का हिस्सा भारतीय मूल की एक वैज्ञानिक भी हैं। उन्होंने कहा है कि इस मानवीय उद्देश्य का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रही हैं, जिसके नतीजों से दुनिया की उम्मीदें जुड़ी हैं।

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कोलकाता में जन्मी चंद्रबाली दत्ता विश्वविद्यालय के जेन्नेर इंस्टीट्यूट में क्लीनिकल बायोमैन्चुफैक्चरिंग फैसिलिटी में काम करती हैं। यहीं पर कोरोना से लड़ने के लिए सीएचएडीओएक्स1 एनसीओवी-19 नाम के टीके के मानवीय परीक्षण का दूसरा और तीसरा चरण चल रहा है। क्वालिटी एस्युरेंस मैनेजर के तौर पर 34 वर्षीय दत्ता का काम यह सुनिश्चित करना है कि टीके के सभी स्तरों का अनुपालन किया जाए। दत्ता ने कहा, 'हम सभी उम्मीद कर रहे हैं कि यह अगले चरण में कामयाब होगा, पूरी दुनिया इस टीके से उम्मीद लगाए हुए है। उन्होंने कहा, 'इस परियोजना का हिस्सा बनना एक तरह से मानवीय उद्देश्य है। हम गैर लाभकारी संगठन हैं। टीके को सफल बनाने के लिए हर दिन अतिरिक्त घंटों तक काम कर रहे हैं ताकि इंसानों की जान बचाई जा सके। यह व्यापक तौर पर सामूहिक प्रयास है और हर कोई इसकी कामयाबी के लिए लगातार काम कर रहा है। मुझे लगता है कि इस परियोजना का हिस्सा होना सम्मान की बात हैं।

बचपन के दोस्त ने किया प्रेरित

दत्ता जीव विज्ञान के क्षेत्र में पुरुषों के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए भारत में युवा लड़कियों को प्रेरित करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे बचपन का दोस्त नॉटिंघम में पढ़ाई कर रहा था, जिसने मुझे प्रेरित किया। चूंकि ब्रिटेन को समान अधिकारों, महिला अधिकारों के लिए जाना जाता है, इसलिए मैंने लीड्स विवि से जैव प्रौद्योगिकी में मास्टर्स करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि असली संघर्ष भारत छोड़कर यहां आना रहा। मेरी मां इससे खुश नहीं थीं, लेकिन मेरे पिता ने पूरा साथ दिया।


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