चीनी कंपनी हुआवे पर बोरिस जॉनसन के तेवर तीखे, 5जी नेटवर्क में भूमिका पर चलाएंगे कैंची
चीन पर दुनिया के देशों की गोलबंदी अब साफ नजर आने लगी है। ब्रिटेन ने चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवे के प्रति तेवर कड़े कर दिए हैं। जानें क्या है ब्रिटेन की योजना...
लंदन, पीटीआइ। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवे के प्रति तेवर कड़े कर दिए हैं। कोरोना वायरस फैलने के मद्देनजर पीएम ने ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क में कंपनी की भागीदारी घटाने की योजना बनाई है। शनिवार को मीडिया रिपोर्ट में इस आशय की जानकारी सामने आई है। दी डेली टेलीग्राफ के अनुसार जॉनसन ने अधिकारियों से योजना तैयार करने के लिए कहा है जिससे 2023 तक ब्रिटेन के उन्नत टेलीकॉम नेटवर्क में चीन की भागीदारी शून्य तक पहुंचाई जा सके।
कम की जाएगी कंपनी की भागीदारी
उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा, 'वह अभी तक चीन के साथ रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन हुआवे सौदा सिमटने जा रहा है। अधिकारियों को ऐसी योजना सामने लाने के लिए कहा गया है जिससे कंपनी की भागीदारी यथासंभव कम की जा सकेगी।' सूत्र ने कहा कि पीएम ने अपने सांसदों से इस मुद्दे पर विचार किया है और उनकी गंभीर चिंताएं साझा की हैं। महामारी फैलने से पहले यह सौदा हुआ था, लेकिन कोरोना वायरस ने सबकुछ बदल कर रख दिया है। अमेरिका द्वारा चीन के खिलाफ उठाए गए कड़े कदम के बाद जॉनसन ने यह कदम उठाया है।
अगले महीने जानसन की ट्रंप से मुलाकात
अगले महीने जी7 समिट में ब्रिटिश पीएम की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होगी। इस दौरान ब्रिटेन ब्रेक्जिट को लेकर द्विपक्षीय व्यापार पर बातचीत आगे बढ़ा सकता है। उधर अमेरिका ने चीन की 33 कंपनियों और संस्थानों को काली सूची में डाल दिया है। यह कार्रवाई चीन में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों की जासूसी में बीजिंग की मदद करने या विनाशकारी हथियारों और चीनी सेना से संबंध रखने के चलते की गई है। अमेरिका के इस एक्शन से चीन के पलटवार की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
चीन की साजिश का विरोध
गौरतलब है कि हांगकांग में लोकतंत्र की मांग को दबाने की चीन की साजिश को लेकर भी विरोध शुरू हो गया है। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने संयुक्त बयान जारी कर चीन की हरकत पर चिंता जताते हुए कानून संशोधन की प्रक्रिया को तत्काल रोकने के लिए कहा है। इन देशों ने प्रस्तावित कानून को एक राष्ट्र दो व्यवस्था के सिद्धांत का उल्लंघन बताया है। मालूम हो कि इसी सिद्धांत पर समझौते के बाद 1997 में ब्रिटेन ने 150 साल के शासन उपरांत हांगकांग को चीन को सौंपा था लेकिन अब चीन की महत्वाकांक्षाएं ज्यादा बढ़ने लगी हैं।