बोरिस जॉनसन से ब्रिटिश-मुस्लिमों को लग रहा डर, भविष्य को लेकर चिंतित
1987 में मार्गरेट थैचर के नेतृत्व के बाद आम चुनाव में कंजरवेटिव पाटी की यह सबसे बड़ी जीत बताई जा रही है।
लंदन, पीटीआइ। ब्रिटेन के चुनाव में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी की जीत से वहां का मुस्लिम समुदाय डर महसूस कर रहा है। यह बात ब्रिटेन के एक प्रमुख संगठन ने बयान जारी कर कही है।
मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन (एमसीबी) ने चुनाव के दौरान कंजरवेटिव पार्टी की ओर से लगे इस्लामोफोबिया को भूनने के लिए ओवन तैयार के नारे की जांच की मांग की है। यह नारा चुनाव के प्रमुख नारों में शुमार रहा। अब जबकि कंजरवेटिव पार्टी ज्यादा मजबूती के साथ सत्ता में फिर आई है तब मुस्लिमों को अपने भविष्य की चिंता हो रही है।
एमसीबी के महासचिव हारुन खान ने कहा है कि बोरिस जॉनसन को चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिला है, लेकिन पूरे देश का मुस्लिम समुदाय इससे भयग्रस्त है। हम इस्लामोफोबिया के लिए ओवन रेडी वाले नारे को लेकर चिंतित हैं। हमारी प्रार्थना है कि जॉनसन अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल ब्रिटेन को जिम्मेदार बनाने में करें।
सबसे ज्यादा विभाजनकारी चुनाव
उन्होंने कहा, ताजा चुनाव हाल के दशकों का सबसे ज्यादा विभाजनकारी चुनाव रहा। इसमें जीतने के लिए भेदभाव पैदा करने वाले नारे लगाए गए और अन्य कार्य किए गए। लेकिन अब जबकि चुनाव खत्म हो गए हैं तब नए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक एकजुटता के लिए कार्य करना चाहिए। हारुन ने कहा, हम मानते हैं कि प्रधानमंत्री अब एकजुट राष्ट्र का नारा देंगे। वह सभी समुदायों को साथ लेकर चलेंगे।
भारत विरोधी प्रस्ताव किया था पारित
चुनाव में मुस्लिम समुदाय का समर्थन लेबर पार्टी को रहा था। पार्टी नेता जेरेमी कॉर्बिन ने ब्रिटेन में खुद को मुस्लिमों का सबसे बड़ा हितैषी बताने की कोशिश की थी। चुनावी चर्चा के दौरान ही लेबर पार्टी ने हाउस ऑफ कॉमंस में जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत विरोधी प्रस्ताव पारित कराया था, जो बाद बाद सरकार ने खारिज कर दिया था। इस प्रस्ताव और अनुच्छेद 370 हटाने के विरोध में भारतीय उच्चायोग पर हुए प्रदर्शन ने ब्रिटिश- भारतीय समुदाय को लेबर पार्टी का विरोधी बना दिया। प्रदर्शन को लेबर पार्टी के नेताओं का समर्थन था। नतीजतन, भारतीय समुदाय एकजुट होकर कंजरवेटिव पार्टी के साथ आया और उसकी चुनावी जीत को प्रभावशाली बनाया।
कंजरवेटिव पाटी की यह सबसे बड़ी जीत
1987 के बाद आम चुनाव में कंजरवेटिव पाटी की यह सबसे बड़ी जीत बताई जा रही है। तब मार्गरेट थैचर के नेतृत्व में पार्टी को चुनाव में सबसे बड़ी सफलता मिली थी। वहीं, 1930 के दशक के बाद से विपक्षी लेबर पार्टी को सबसे खराब परिणाम का सामना करना पड़ा है।