ब्रिटेन ने अद्वितीय भारतीय चित्रकला को बेचने पर लगाई रोक, 5 करोड़ से अधिक है इसकी कीमत
न केवल इसकी सुंदरता को ध्यान में रखते हुए बल्कि भारतीय कला और इतिहास पर अतिरिक्त अध्ययन के लिए इस चित्रकला को ब्रिटेन में रखा जाना जरूरी है।
लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन के कला मंत्री ने 18वीं शताब्दी की एक भारतीय चित्रकला को देश से बाहर ले जाने पर अगले साल 15 फरवरी तक प्रतिबंध लगा दिया है। पांच करोड़ रुपये से अधिक कीमत की इस चित्रकला को खरीदने के संबंध में अगर कोई गंभीर दिखता है तो यह अवधि 15 मई तक बढ़ाई जा सकती है। बता दें कि गुलेर के नैनसुख (1710-1778) की इस चित्रकला में मध्य भारत में पारंपरिक संगीत को प्रदर्शित किया गया है। इसमें छत पर बैठे सात गांवों के अलग-अलग संगीतकार तुरही बजाते दिखाई देते हैं। नैनसुख को लघु चित्रकला की एक प्रमुख और लोकप्रिय शैली 'पहारी आंदोलन' के प्रमुख कलाकारों में माना जाता है।
पांच करोड़ रुपये से अधिक है इसकी कीमत, अगले साल 15 फरवरी तक है प्रतिबंध
ब्रिटेन के कला, विरासत और पर्यटन मंत्री माइकल एलिस ने उम्मीद जताई है कि इस चित्रकला को ब्रिटेन का ही कोई संग्रहालय खरीद लेगा। उन्होंने कहा कि नैनसुख की कला ने दुनिया भर को प्रभावित किया है। जहां तक इस चित्रकला की बात है तो यह उनके काम के उत्कृष्ट सौंदर्य को दर्शाता है। नैनसुख की कुछ अन्य पेंटिंग को विक्टोरिया और अल्बर्ट और ब्रिटिश संग्रहालय में प्रदर्शित किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि न केवल इसकी सुंदरता को ध्यान में रखते हुए बल्कि भारतीय कला और इतिहास पर अतिरिक्त अध्ययन के लिए इस चित्रकला को ब्रिटेन में रखा जाना जरूरी है। एलिस ने कहा कि यह लघु चित्रकला भारत की कला का अप्रतिम उदाहरण है। इसकी कला से प्रभावित होकर ही सबसे पहली बार प्रसिद्ध चित्रकार विल्फ्रेड निकोलसन (1893-1981) ने खरीदा था। बता दें कि विश्व की प्रमुख गैलरियों में निकोलसन की पेंटिंग प्रदर्शित की जा चुकी हैं।