ब्रिटेन में अकाउंटिंग विफलता के लिए 'बिग फोर' निशाने पर
बिग फोर फर्म डिलॉय, अंर्स्ट एंड यंग, केपीएमजी और पीडब्ल्यूसी लंबे अरसे से बड़े कॉरपोरेट घरानों को परामर्श सेवाएं देती रही हैं और उनके कामकाज की निगरानी करती हैं।
लंदन, एएफपी। अकाउंटिंग घोटाले में अमेरिकी दिग्गज कंपनी एनरॉन के पतन के करीब दो दशक बाद ब्रिटेन में कई कॉरपोरेट घोटालों के कारण अकाउंटिंग सेक्टर फिर से चर्चाओं में आ गया है। इस क्षेत्र की प्रसिद्ध 'बिग फोर' फर्म डिलॉय, अंर्स्ट एंड यंग, केपीएमजी और पीडब्ल्यूसी इन घोटालों के कारण जांच के केंद्र में हैं।
बिग फोर लंबे अरसे से बड़े कॉरपोरेट घरानों को परामर्श सेवाएं देती रही हैं और उनके कामकाज की निगरानी करती हैं। दुनिया की सबसे ताकतवर ये फर्म अकाउंट्स ऑडिटिंग एंड स्ट्रैटजी, प्रस्तावित विलय व अधिग्रहण के लिए परामर्श, पुनर्गठन और टैक्सेशन जैसी कई तरह की सेवाएं देती हैं। लेकिन ब्रिटेन में 2016 में प्रमुख रिटेल कंपनी बीएचएस और चालू वर्ष के शुरू में कंस्ट्रक्शन कंपनी कैरिलियन समेत कई हाई प्रोफाइल कंपनियों के पतन के बाद ये फर्म अधिकारियों की नजरों में आ गई हैं। ब्रिटेन की कंपटीशन एंड मार्केट्स अथॉरिटी ने अक्टूबर में अकाउंटिंग सेक्टर की समीक्षा शुरू कर दी। अगले महीने क्रिसमस से पहले इसकी रिपोर्ट आने की संभावना है।
विफलता के लिए जांच व जुर्माना
अकाउंटिंग क्षेत्र की निगरानी करने वाली फाइनेंशियल रिपोर्टिग काउंसिल (एफआरसी) ने पीडब्ल्यूसी पर 65 लाख पाउंड (करीब 58 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया। बीएचएस के फेल होने के दो साल पहले ऑडिटिंग में विफल रहने के लिए उस पर जुर्माना लगाया गया था। इसी तरह एफआरसी कंस्ट्रक्शन कंपनी कैरिलियन के ऑडिट के लिए केपीएमजी की जांच कर रही है। हाल में फेल होने के कगार पर पहुंची कैफे चेन पैटिसेरी वैलेरी के ऑडिट के सवाल पर एफआरसी ने ब्रिटेन की पांचवीं सबसे बड़ी ऑडिट फर्म ग्रांट थार्नटन की जांच शुरू की है।
कंपनियों को बिग फोर की दरकार
तमाम विवादों के बावजूद कंपनियों को बिग फोर में से किसी भी फर्म की जरूरत होती है क्योंकि आमतौर पर निवेशक कंपनियों के कामकाज के आकलन के समय उनके ठप्पे को देखना चाहते हैं और उसे खासी तरजीह देते हैं।
किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर क्रॉफोर्ड स्पेंस ने बताया कि कंपनियों को वित्तीय बाजारों को संतुष्ट करना होता है। बिग फोर का ठप्पा होने से यह काम आसान हो जाता है। इसका प्रतीकात्मक पहलू अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्पेंस ने कहा कि इसे आंशिक रूप से ऐसे समझा जा सकता है कि बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क वाली फर्म के ऑडिटर की आवश्यकता होती है जो उनकी विदेश स्थित सहायक कंपनियों की भी निगरानी कर सके। इसमें ब्रांड भी खासा मायने रखता है। बिग फोर उन्हें प्रतिष्ठा देती है और वे अपने ग्राहकों को सिर्फ ऑडिट संबंधी पहलू ही नहीं बल्कि पूरे कारोबार को आसानी से समझा सकती हैं। बड़े ग्राहकों के मामले में समग्र कारोबारी जानकारी अत्यंत अहम होती है। लेकिन हाल के वर्षो में अकाउंटिंग सेक्टर की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। 2001 में एनरॉन के पतन के बाद तमाम बदलाव आए। विशेषज्ञ इसे दुनिया का सबसे बड़ा अकाउंटिंग घोटाला मानते हैं।
कैसे रोकी जाए गड़बड़ी
एफआरसी इस तरह की गड़बडि़यों पर रोक लगाने के लिए फर्मो की कंसल्टिंग फीस पर अंकुश लगाने के बारे में सोच रही है लेकिन प्रोफेसर स्पेंस का कहना है कि मामला इससे अलग और बड़ा है। हितों में टकराव की स्थिति से बचने के लिए कंपनियों के शेयरधारकों या दूसरे पक्षों को ऑडिटर नियुक्त करने का अधिकार होना चाहिए।