Move to Jagran APP

Boris Johnson India Visit : भारत आ रहे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, ड्रैगन को घेरना भी है मकसद

Boris Johnson India Visit बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत में मुख्‍य अतिथि के तौर पर भारत आने वाले थे लेकिन कोरोना महामारी के कारण उनका यह दौरा रद हो गया था। बोरिस जॉनसन अप्रैल के अंत में भारत का दौरा करेंगे।

By TilakrajEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 07:18 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 09:46 AM (IST)
Boris Johnson India Visit : भारत आ रहे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, ड्रैगन को घेरना भी है मकसद
बोरिस जॉनसन अप्रैल के अंत में भारत का दौरा करेंगे

लंदन, एएनआइ। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अप्रैल में भारत का दौरा करेंगे। बोरिस जॉनसन के भारत दौरे का मकसद यूके के लिए और अधिक अवसरों को तलाशना होगा। साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के इस दौरे का उद्देश्‍य भारत के साथ मिलकर चीन की चालबाजियों के खिलाफ खड़ा होना है। बता दें कि बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत में मुख्‍य अतिथि के तौर पर भारत आने वाले थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण उनका यह दौरा रद हो गया था।

loksabha election banner

बोरिस जॉनसन अप्रैल के अंत में भारत का दौरा करेंगे। इस क्षेत्र में ब्रिटेन के अवसरों को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने के बाद उनकी पहली प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय यात्रा क्या होगी। वैसे बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने मजबूत संबंधों को संरक्षित करते हुए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार मंगलवार को देश की ब्रेक्सिट रक्षा और विदेश नीति की प्राथमिकताओं को सामने रखेगी।

दरअसल, यू‍रोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद अब बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के लिए नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। चीन से यूके का कई मुद्दों पर मतभेद किसी से छिपा नहीं हैं। ऐसे में भारत से साथ खड़े होकर बोरिस जॉनसन एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं। इसमें कुछ गलत भी नहीं है। इधर, चीन को घेरने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की चौकड़ी से बने क्वाड संगठन ने भी कमर कस ली है। मौजूदा दौर में यह घटनाक्रम अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे शीत युद्ध की समाप्ति के बाद सबसे उल्लेखनीय वैश्विक पहल कहा जा रहा है।

यूके और चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं, इनमें हांगकांग, कोविड-19 महामारी और हुआवेई को ब्रिटेन के 5जी नेटवर्क में सक्रिय भूमिका से वंचित करना प्रमुख हैं। वहीं, क्‍वीन एलिजाबेथ विमान वाहक पोत की संभावित तैनाती से दक्षिण चीन सागर में सैन्य तनाव बढ़ने की आशंका है। चीन इस क्षेत्र में अपना अधिकार जमाना चाहता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.