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बलूच नेता ने PM इमारान के इस बयान पर ली चुस्‍की, कहा- भीख मांगने की चाल है ये

पहली दफा है कि पाकिस्‍तान ने दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्‍ट्रीय मंच से यह कबूल किया है कि पाकिस्‍तान में आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 09:13 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 09:13 AM (IST)
बलूच नेता ने PM इमारान के इस बयान पर ली चुस्‍की, कहा- भीख मांगने की चाल है ये
बलूच नेता ने PM इमारान के इस बयान पर ली चुस्‍की, कहा- भीख मांगने की चाल है ये

लंदन, एजेंसी। बलूच नेता मेरहान मरियम ने लंदन में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमला बोला है। उन्‍होंने कहा है कि पाकिस्‍तान ने दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्‍ट्रीय मंच से यह पहली बार कबूल किया है कि पाकिस्‍तान में आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया जाता था। मरियम ने खान के भाषण को देश द्वारा कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक समर्थन हासिल करने का एक और विफल प्रयास माना। उन्‍होंने कहा कि इमरान के इस बयान से अब पाक की पोल खुल चुकी है।

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बलूच नेता ने कहा कि पाक का यह कबूलनामा एक सोची समझी रणनीति का हिस्‍सा है। दुनिया में वैश्विक स्‍तर पर देश की छवि को सुधारने और खाली कटोरे में भीख मांगने के लिए इमरान खान ने यह चाल चली है। उन्‍होंने कहा यह पहली बार होगा कि पाकिस्‍तान के कठपुतली प्रधानमंत्री खान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद जैसे अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर इस कटू सत्‍य को स्‍वीकार किया।

खान ने कहा कि 1989 और 90 के दशक में आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया गया था। खान ने इसके लिए खेद भी प्रकट किया। बलूच नेता ने कहा कि उनके इस बयान से साफ है कि उनकी यह सारी कवायद का लक्ष्‍य अपने भीख के कटोरा से अमेरिकी धन प्राप्‍त करना है। 

खान ने अपने संबोधन में 1980 और 1990 के दशक के दौरान जिहादियों को प्रशिक्षित करने और उनसे संपर्क बनाए रखने में पाकिस्‍तान की भूमिका को स्‍वीकार किया। खान ने अपने भाषण में यह स्‍थापित करने का प्रयास किया उनका देश इस्‍लाम का चैंपियन है।

लेकिन यहां एक बड़ा सवाल यह है कि क्‍या इमरान इन आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम होंगे। दरअसल, पाकिस्‍तान में राजनीतिक सरकार सैन्‍य नेतृत्‍व की पूरी तरह से कठपुतली है। एेसे में इमरान की कथनी और करनी में भेद देखना दिलचस्‍प होगा। उनकी इस कवायद के पीछे कश्‍मीर मामला भी है। खान ने कश्‍मीर मामले में दुनिया का समर्थन हासिल करने के लिए भी यह चाल चली।  


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