एक्सोप्लैनेट के आस-पास पहली बार हीलियम गैस का पता चला
यह पहली बार है, जब खगोलविदों को किसी एक्सोप्लैनेट के आस-पास हीलियम गैस के होने की जानकारी प्राप्त हुई है।
लंदन [प्रेट्र]। ब्रह्मांड अनंत रहस्यों को खुद में समेटे हुए है। खगोलविद निरंतर इसके रहस्यों पर से पर्दा उठाने का प्रयास करते रहते हैं। इसी कड़ी में इस बार उन्हें एक अहम जानकारी हाथ लगी है। दरअसल, हमारे सौर मंडल से बहुत दूर स्थित एक तारे की कक्षाओं में मौजूद एक ग्रह के वातावरण में हीलियम गैस का पता चला है। यह पहली बार है, जब खगोलविदों को किसी एक्सोप्लैनेट के आस-पास हीलियम गैस के होने की जानकारी प्राप्त हुई है।
ब्रिटेन स्थित एक्सेटर यूनिवर्सिटी की जेसिका स्पेक के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने यह खोज की है। इस दल को धरती से 200 प्रकाश वर्ष दूर कन्या नक्षत्र में मौजूद सुपर नेपच्यून एक्सोप्लैनेट डब्ल्यूएएसपी-107बी पर इस निष्क्रिय गैस के सुबूत मिले हैं।
नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से इस एक्सोप्लैनेट पर हीलियम गैस की प्रचुर मात्रा होने का पता 2017 में लगा था। जांच के बाद अब इसके पुष्टि हुई है। एक्सेटर यूनिवर्सिटी के टॉम इवांस के मुताबिक, हमने पाया कि हीलियम ग्रह के चारों और हल्के बदलों की तरह दूर तक फैली हुई है।
क्यों अहम है खोज
शोधकर्ताओं के मुताबिक, ब्रह्मांड में हीलियम दूसरा सामान्य तत्व है। हमेशा से अनुमान लगाया जाता रहा है कि विशाल एक्सोप्लैनेट्स के आस-पास यह गैस मौजूद होगी। हालांकि यह पहली बार है जब वैज्ञानिक किसी एक्सोप्लैनेट के वातावरण में इसका पता लगाने में सफल हुए हैं। अब इस विधि से इस गैस के जरिये और एक्सोप्लैनेट का पता लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं उनके ऊपरी वातावरण की जानकारी भी हो सकेगी।
इनका चल सकेगा पता
इवांस कहते हैं कि यदि छोटे और धरती के आकार के ग्रहों पर इसी तरह के हीलियम के बादल मौजूद हैं तो इस नई तकनीक के जरिये हमें उन ग्रहों के ऊपरी वातावरण को जानने में मदद मिल सकेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि हीलियम के सिग्नल बहुत मजबूत होते हैं। इनकी मदद से अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर दूर से किसी ग्रह के ऊपरी वातावरण का पता लगाया जा सकता है।