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जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए भारत से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी ब्रितानी हुकूमत

ब्रिटेन में दो पार्टियों में मुख्य रूप से मुकाबला है। ये दोनों अलग-अलग मुद्दों को ध्यान में रखकर वोटरों को लुभाने का काम कर रही हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 05:31 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 02:42 PM (IST)
जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए भारत से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी ब्रितानी हुकूमत
जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए भारत से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी ब्रितानी हुकूमत

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ब्रिटेन में गुरूवार को संसदीय सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। इसका रिजल्ट शुक्रवार को आएगा। इससे पहले लोगों के वोट हासिल करने के लिए वायदों का सिलसिला जारी है। लेबर पार्टी ने तो अपने चुनावी घोषणापत्र में यहां तक वादा कर दिया है कि यदि वो सत्ता में आती है तो जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए भारत से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी। यहां 650 सीटों के लिए वोट डाले जाने हैं। भारत में 100 साल पहले ब्रितानी हुकूमत ने जालियांवाला बाग में अंधाधुंध गोलियां चलाकर लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जान बचाने के लिए यहां मौजूद लोग कुएं में भी कूद गए थे। इस बाग की दीवारें उस समय के नरसंहार की आज भी गवाही दे रही हैं। विश्लेषकों  का कहना है कि लेबर पार्टी की ओर से ये वादा केवल दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के वोट हासिल करने के लिए किया गया है। 

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बताया जाता है कि ब्रिटेन का सबसे बड़ा शहर मैनेचेस्टर हो या ब्रैडफर्ड, ये दोनों शहर लेबर पार्टी के गढ़ है यहां कंजर्वेटिव पार्टी का वजूद कम ही दिखता है। कश्मीर पर लेबर पार्टी के स्टैंड को भारत-विरोधी माना जा रहा है जिसके कारण भारतीय मूल के अधिकतर लोग लेबर पार्टी से नाराज हैं। इसके बाद भी इन लोगों का मन केवल कश्मीर मुद्दे पर वोट देने का नहीं है। इसके अलावा वो बेरोजगारी, गरीबी, ब्रैक्जिट और टैक्स आदि मुद्दों को लेकर भी वोट करने की रणनीति बना रहे हैं।

आबादी 

भारतीय मूल के 15 लाख लोग यहां आबाद हैं। इनमें पांच लाख सिख, तीन लाख भारतीय मुस्लिम और एक लाख से अधिक दक्षिण भारतीय हैं। सिख समुदाय हमेशा से लेबर पार्टी के साथ रहा है, इसमें कोई खास परिवर्तन नहीं दिखाई देता है। भारतीय मुस्लिम समुदाय में जो गुजरात के हैं वो कंजर्वेटिव की तरफ जरूर झुके हैं लेकिन अधिकतर अब भी लेबर पार्टी के साथ हैं। दक्षिण भारत में तमिल समुदाय के लोग सबसे अधिक हैं उनका वोट पहले की तरह ही बंटा हुआ है। उत्तर भारत से आए लोगों का बहुमत पूरी तरह से बोरिस जॉनसन के साथ दिखाई देता है, पिछले चुनाव में दक्षिण एशियाई मूल के 12 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। इस में लेबर पार्टी के 7 और कंजर्वेटिव पार्टी के पांच उम्मीदवार विजयी रहे थे। 

एशियाई मूल के लोगों की भूमिका 

दोनों पार्टियां, इनके उम्मीदवार और इनके समर्थक दक्षिण एशियाई मूल के लोगों को लुभाने की हर तरह की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मूल के 30 लाख लोग संसद की 48 सीटों के नतीजों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकते हैं। ये दावा किया जा रहा है कि इस वीडियो को कंजर्वेटिव पार्टी ने जारी किया है लेकिन पार्टी ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इसे कंजर्वेटिव पार्टी के भारतीय मूल के उम्मीदवार और पूर्व सांसद शैलेश वारा जैसे लोग ट्वीट भी कर रहे हैं। इस वीडियो में हिंदी गीत सुनाई देता है जिसमें बोरिस जॉनसन को जिताने और लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन के विरोध में कई बातें सुनाई देती हैं।

नरेंद्र मोदी के साथ तस्वीर दिखाकर वोट लेने की रणनीति 

अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो चर्चा में है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन की तस्वीरें भी दिखाई देती हैं। साथ ही ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त की भी इसमें तस्वीर है, गीत के बोल हिंदी में हैं। 

भारतीय मूल के लोगों को आकर्षित करने की कोशिश 

दरअसल ये प्रवासी भारतीयों की तरफ से भारतीय मूल के लोगों को कंजर्वेटिव पार्टी की तरफ आकर्षित करने की एक कोशिश मानी जा रही है। मैनचेस्टर में भारतीय समुदाय से जुड़े संगठन इंडियन एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जगत सिंह भारत से आए लोगों की दूसरी पीढ़ी के हैं। वो हमेशा लेबर पार्टी को वोट डालते आए हैं लेकिन इस बार उन्हें डर है कि भारतीय प्रवासी कंजर्वेटिव पार्टी को वोट देंगे।

शुक्रवार को आ जाएंगे चुनावी नतीजे 

ब्रिटेन के चुनाव पर नजर रखने वाले विश्लेषक बताते हैं कि अगर कंजर्वेटिव पार्टी को पर्याप्त बहुमत मिला तो ब्रिटेन के लिए यूरोपीय संघ छोड़ना बहुत आसान हो जाएगा। ये आम चुनाव दिलचस्प इसलिए भी हो गया है क्योंकि प्रवासी भारतीय और पाकिस्तानी इस बार पहले से कहीं अधिक अहम भूमिका निभा रहे हैं, लेबर पार्टी ने दक्षिण एशियाई लोगों को लुभाने के लिए अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि अगर वो सत्ता में आती है तो जलियाँवाला बाग हत्याकांड के लिए औपचारिक रूप से माफी मांगेगी, इसने ये भी वादा किया है कि जीतने पर स्कूलों के सिलेबस में ब्रिटिश राज के अत्याचारों की पढ़ाई को भी शामिल किया जाएगा।

लेबर पार्टी से नाराजगी 

लेबर पार्टी को अंदाजा है कि वो चुनाव जीत नहीं सकती इसलिए उसने अपने घोषणापत्र में हमारे लिए कई वादे किए हैं। यहां के अधिकतर सांसद पाकिस्तानी मूल के हैं और लेबर पार्टी के हैं, उनका कहना है कि भारत ने जो अनुच्छेद 370 हटाया है, वो गैर-कानूनी है। भारतीयों का विचार है कि लेबर पार्टी का झुकाव मुसलमानों की तरफ ज्यादा है और वो भारतीयों के पक्ष में नहीं हैं। लेबर पार्टी ने कश्मीर में कथित तौर पर मानवाधिकार की बहाली को लेकर एक प्रस्ताव पास किया था।

कंजर्वेटिव पार्टी समर्थक 

कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बोरिस जॉनसन ने संसद में कहा था कि कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला है तो उसमें हमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, इसलिए काफी संख्या में लोग उनके समर्थक हो गए, इस वजह से ये माना जा रहा है कि भारतीय प्रवासी कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन करेंगे, इसी तरह से एक दूसरा वर्ग वो है जो उस पार्टी को समर्थन करने का मूड बनाए हुए है जो कश्मीर के पक्ष में बातें कर रहा हो भले ही वो बातें गलत हो।  


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