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वायु प्रदूषण से जा सकती है आंख की रोशनी, नए शोध में आया सामने

लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक उच्च आय वाले देशों में 50 से अधिक उम्र के लोगों के बीच अंधेपन की प्रमुख वजह एएमडी है। माना जा रहा है कि वर्ष 2040 तक इससे प्रभावित लोगों की तादाद 300 मिलियन तक पहुंच सकती है।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 05:50 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 05:50 PM (IST)
वायु प्रदूषण से जा सकती है आंख की रोशनी, नए शोध में आया सामने
वायु प्रदूषण से आंखों की रोशनी को है खतरा

लंदन, प्रेट्र।  एक नए अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इस प्रभाव को एज रीलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) के तौर पर जाना जाता है। मैक्यूलर डिजनरेशन आंखों से संबंधित समस्या है। इसमें रेटिना को क्षति होने लगती है। इसका सीधा असर आंखों की देखने की क्षमता पर पड़ता है। यह अधिकांश तौर पर बढ़ती उम्र में होता है। धूम्रपान, वृद्धावस्था, मोटापा, उच्चरक्तचाप, और बहुत अधिक संतृप्त वसा खाने सहित कुछ अन्य कारक मैक्यूलर डिजनरेशन के विकास के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं।

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लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक उच्च आय वाले देशों में 50 से अधिक उम्र के लोगों के बीच अंधेपन की प्रमुख वजह एएमडी है। माना जा रहा है कि वर्ष 2040 तक इससे प्रभावित लोगों की तादाद 300 मिलियन तक पहुंच सकती है। वैसे तो वायु प्रदूषण के चलते दिल और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं, लेकिन ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑपथैल्मोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन के विश्लेषण में कहा गया है कि वायु प्रदूषण से एएमडी होने का जोखिम जुड़ा हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक से 1,15,954 लोगों का डाटा लिया। जिन लोगों को इस परीक्षण के लिए चुना गया था, उनकी उम्र 40 से 69 वर्ष के बीच थी और किसी भी प्रतिभागी को आंख संबंधी समस्या नहीं थी। आंख पर वायु प्रदूषण के असर को देखने के लिए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5), नाइट्रोजन डाइआक्साइड (एनओ2) और नाइट्रोजन आक्साइड को नापा और 1,286 लोगों में एएमडी का पता लगा। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पीएम2.5 से एएमडी होने का जोखिम आठ फीसद बढ़ जाता है। जबकि अन्य प्रदूषण कणों से रेटिना संरचना में परिवर्तन संभव था।


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