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तालिबान के काबुल पर कब्‍जे का पूरा होने वाला है एक वर्ष, दशकों पीछे पहुंचा देश तो महिलाओं ने उठाई आवाज

काबुल पर तालिबान के कब्‍जे को 15 अगस्‍त को एक वर्ष पूरा हो जाएगा। इस एक वर्ष के दौरान तालिबान ने अफगानिस्‍तान को अपने पुराने ढर्रे पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसके खिलाफ महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 03:56 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 03:56 PM (IST)
तालिबान के काबुल पर कब्‍जे का पूरा होने वाला है एक वर्ष, दशकों पीछे पहुंचा देश तो महिलाओं ने उठाई आवाज
काबुल पर तालिबान के कब्‍जे का 15 अगस्‍त को होगा एक वर्ष पूरा

काबुल (एजेंसी)। तालिबान के काबुल पर कब्‍जे को अब एक वर्ष पूरा होने को है। इस एक वर्ष के दौरान अफगानिस्‍तान वापस अपनी पुरानी जगह पर ही आकर खड़ा हो गया है। महिलओं पर लगातार तालिबान का शिंकजा कसता जा रहा है। लड़कियां पढ़ाई से दूर कर दी गई हैं। महिलाओं को फिर तालिबान के बनाए सख्‍त नियमों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। अब जबकि तालिबान शासन को एक वर्ष पूरा होने को है तो काबुल की सड़कों पर महिलाओं ने तालिबान के विरोध में प्रदर्शन किया है।

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वहीं दूसरी तरफ तालिबान ने विरोध प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए हवा में फायरिंग की और महिलाओं के साथ मार-पिटाई भी की है। बता दें कि पिछले वर्ष 15 अगस्‍त को ही तालिबान ने काबुल पर जीत हासिल की थी। इसके बाद से ही अफगानिस्‍तान में अफरा-तफरी का माहौल है। काबुल पर तालिबान की जीत के बाद अमेरिकी फौज यहां से वापस चली गई थी।

तालिबान के काबुल पर कब्‍जे के बाद जो दो दशकों में अफगानिस्‍तान ने पाया था वो फिर खो दिया है। महिलाओं की आजादी खत्‍म हो चुकी है। काबुल की सड़क पर शनिवार को तालिबान के विरोध में जो प्रदर्शन हुआ उसमें करीब 40 से अधिक महिलाओं ने हिस्‍सा लिया था। इन्‍होंने शिक्षा मंत्रालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया थाए। विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए तालिबान ने बल का प्रयोग किया और महिलाओं को डराने के लिए हवा में फायरिंग तक की। विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलामें के हाथों में जो बैनर थे उनमें 15 अगस्‍त 2021 के दिन को ब्‍लैक डे बताया गया था। इन महिलाओं की मांग थी कि उन्‍हें राजनीति समेत सभी जगहों पर पूरा हक दिया जाना चाहिए।

इस विरोध प्रदर्शन को करने वाली महिलाएं जस्टिस, जस्टिस के नारे लगा रही थीं। इनका कहना था कि तालिबान द्वारा इनको लगातार नजरअंदाज करने से अब वो दुखी हो चुकी हैं। इन विरोध प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने तालिबान के नियमानुसार चेहरा भी नहीं ढका हुआ था और न ही बुर्का पहना हुआ था। इन महिलाओं का कहना था कि तालिबान ने काबुल जीतने के बाद जो वादे किए थे उनमें से कुछ भी पूरे नहीं किए हैं। इस एक वर्ष के दौरान तालिबान का वापस 1996-2001 जैसा ही हाल हो गया है।

इस दौरान अफगानिस्‍तान के अधिकतर हिस्‍सों पर तालिबान का शासन था। विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना था कि तालिबान के आने के बाद हजारों लड़कियां पढ़ाई से महरूम हो गई हैं। सैकड़ों महिलाओं को नौकरी से हटा दिया गया है। महिलाओं को अकेले कहीं भी सार्वजनिक स्‍थल पर जाने की इजाजत नहीं है।  


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