भारत और चीन के मामले में कोई दखल न दे रूस, संसदीय समित के प्रमुख ने दी सलाह
रूसी संसद के उच्च सदन की विदेशी मामलों की समिति के प्रमुख कांस्टेंटिन कोसाचेव ने कहा है कि भारत-चीन के बीच तनातनी के मामले में रूस को दखल नहीं देना चाहिए।
नई दिल्ली, पीटीआइ। रूसी संसद के उच्च सदन की विदेशी मामलों की समिति के प्रमुख कांस्टेंटिन कोसाचेव ने कहा है कि भारत-चीन के बीच लद्दाख में चल रही मौजूदा तनातनी के मामले में रूस को कोई दखल नहीं देना चाहिए। यह मामला दो देशों का द्विपक्षीय मामला है। इन्हें ही इसे सुलझाने देना चाहिए। अगर दोनों के बीच कोई सैन्य टकराव की स्थिति बनती है तब उसे एक ईमानदार मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए।
चीन को घेरने के लिए ट्रंप ने लिया फैसला
कोसाचेव ने कहा कि जी-7 की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस, भारत, आस्ट्रेलिया को आमंत्रित करने का फैसला चीन को घेरने के लिए किया गया है। कोसाचेव मॉस्को से नई दिल्ली के चुनिंदा पत्रकारों से आनलाइन बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ट्रंप द्वारा जी-7 की बैठक में भारत समेत चार देशों को आमंत्रित करने के मुद्दे पर रूस ने अमेरिका से स्पष्टीकरण मांगा है लेकिन अभी कोई जवाब मिला नहीं है। इसलिए अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
अमेरिका को नहीं है अधिकार
जी-7 की बैठक में भारत समेत चार देशों को आमंत्रित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति इस संगठन के मौजूदा स्वरूप को लेकर अपना असंतोष नहीं छुपा सके। लेकिन उन्हें इस बात का अधिकार नहीं है कि वे सदस्य देशों की संख्या बढ़ा सकें। वे सिर्फ एक देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो इस बार शिखर वार्ता का आयोजन कर रहा है। मेजबान की हैसियत से वह किसी को भी आमंत्रित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
खत्म नहीं हुआ है शीत युद्ध
इस शिखर वार्ता में कई प्रस्ताव पास होंगे। दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होंगे। यह सब मूल सात सदस्य देशों के बीच होगा। इसमें भारत समेत किसी भी अन्य आमंत्रित देश की कोई भूमिका नहीं होगी। उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी देशों को कमजोर करने की कोशिशों की आलोचना करते हुए कहा कि शीत युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है बल्कि बदले हुए स्वरूप में जारी है।
भारत और चीन का मसला द्विपक्षीय
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि रूस की आधिकारिक स्थिति यही है कि इस द्विपक्षीय मुद्दे को द्विपक्षीय ही रहने देना चाहिए। हम भारत और चीन की संप्रभुता को भली भांति जानते-समझते हैं। मेरा मानना है कि इस तरह के विवादों में रूस को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए लेकिन इस तरह के अन्य मामलों में हमारी भूमिका की दरकार हो सकती है।
टकराव पर रूस की क्या हो भूमिका
कोसाचेव ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच यदि सैन्य टकराव की स्थिति बनती है तो रूस को एक ईमानदार मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाहिए। हम लोग दोनों देशों को इस संबंध में समय समय पर इस तरह का राजनीतिक संकेत देते रहते हैं। उल्लेखनीय है कांस्टेंटिन कोसाचेव ने रूस की विदेश नीति बनाने में अहम भूमिका निभाई है।