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पुतिन के सामने ही बैलिस्टिक मिसाइल दागने में विफल रही रूसी पनडुब्बी

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निगरानी में हो रहे सैन्य अभ्यास के दौरान एक परमाणु पनडुब्बी बैलिस्टिक मिसाइल दागने में विफल हो गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 10:06 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 10:11 PM (IST)
पुतिन के सामने ही बैलिस्टिक मिसाइल दागने में विफल रही रूसी पनडुब्बी
पुतिन के सामने ही बैलिस्टिक मिसाइल दागने में विफल रही रूसी पनडुब्बी

मॉस्को, रायटर। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निगरानी में हो रहे सैन्य अभ्यास के दौरान एक परमाणु पनडुब्बी बैलिस्टिक मिसाइल दागने में विफल हो गई। यह नाकामी 15 से 17 अक्टूबर तक चले सैन्य अभ्यास के दौरान देखने को मिली।

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बोदोमास्ती अखबार ने सोमवार को रक्षा मंत्रालय के दो अधिकारियों के हवाले से बताया कि ओखोत्स्क सागर में चल रहे सैन्य अभ्यास के दौरान परमाणु पनडुब्बी के-44 रियाजान से दो आर-29आर बैलिस्टिक मिसाइलें दागी जानी थीं। यह पनडुब्बी सफलतापूर्वक सिर्फ एक मिसाइल ही दाग पाई, जबकि दूसरी ट्यूब में ही अटकी रह गई। यह पनडुब्बी रूस के प्रशांत बेड़े का हिस्सा है। यह घटना सैन्य अभ्यास के अंतिम दिन तब हुई, जब राष्ट्रपति पुतिन मॉस्को स्थित रक्षा मंत्रालय के कमान केंद्र से खुद इस सैन्य अभ्यास की निगरानी कर रहे थे।

वार गेम्स के तहत हो रहा सैन्‍य अभ्‍यास 

रूस के सशस्त्र बलों के लिए यह सैन्य अभ्यास वार गेम्स के तहत हो रहा था। इसे 'थंडर 2019' नाम दिया गया था। इस सैन्य अभ्यास के जरिये परमाणु युद्ध से निपटने में देश के सामरिक बलों की तैयारियों को आंकना था। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया था कि सैन्य अभ्यास में 100 से ज्यादा विमान, पांच पनडुब्बी और करीब 12 हजार सैनिक शामिल हुए थे। इस नौसैनिक अभ्यास को बाल्टिक सागर, कैस्पियन सागर, काला सागर और ओखोत्स्क सागर में अंजाम दिया गया था।

परमाणु रिएक्टर किया था लांच 

पर्यावरणविदों की चेतावनी के बावजूद रूस ने 23 अगस्‍त को आर्कटिक क्षेत्र में दुनिया का पहला तैरता परमाणु रिएक्टर लांच किया था। लांचिंग के बाद 21 हजार टन के पोत पर दो रिएक्टर को पांच हजार किलोमीटर की यात्रा पर रवाना कर दिया गया है। ग्रीनपीस रूस में ऊर्जा विभाग के प्रमुख राशिद अलीमोव ने कहा कि पर्यावरणविद लंबे समय से इस रिएक्टर का विरोध करते रहे हैं। हर परमाणु उर्जा संयंत्र से रेडियो एक्टिव कचरा निकलता है जिससे हादसे हो सकते हैं। एकेडमिक लोमोनोसोव को तो तूफान से भी खतरा है। रोसाटोम रिएक्टर में इस्तेमाल हो चुके ईंधन को पोत पर ही रखेगा। ऐसे में यदि कोई हादसा हुआ तो वह पूरे आर्कटिक के लिए भयावह होगा। 


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