अब आसमान में तारे ही नहीं, आपके विज्ञापन भी दिखेंगे, ऐसे करेगा काम
ये विज्ञापन रात के समय चंद मिनट के लिए नजर आएंगे। दुनियाभर में कई विशेषज्ञ इस तरह के विज्ञापन को व्यर्थ मान रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आने वाले समय में संभव है कि आकाश में चांद की तरह चमक रही कोई चीज किसी कंपनी का विज्ञान हो। स्टार्टरॉकेट नामक एक रूसी कंपनी ने अंतरिक्ष में विज्ञापन लगाने की एक योजना पेश की है। इसके तहत आकाश में रॉकेट से छोटे-छोटे सैटेलाइट भेजे जाएंगे जो सूर्य की रोशनी को रिफ्लेक्ट करेंगे और रात के समय आकाश में शब्दों या फिर लोगो की आकृति में चमकेंगे। कंपनी के मुताबिक 2021 तक पहला विज्ञापन भेजा जा सकता है जिसे धरती से अरबों लोग एक साथ देख सकेंगे।
ऐसे करेगा काम
विज्ञापन के लिए कई सैटेलाइट एक साथ शब्दों या लोगों की श्रृंखला में भेजे जाएंगे। प्रत्येक सैटेलाइट के साथ एक तीस फुट चौड़ा प्रतिबिंब सेल जुड़ा होगा, जो सूर्य की रोशनी को पृथ्वी की सतर पर प्रतिबिंबित करेगा। ये पृथ्वी की निचली कक्षा में धरती के ऊपर 480 किमी के अल्टीट्यूड पर तैरते रहेंगे।
2020 तक शुरू होगा परीक्षण
कंपनी के मुताबिक पहला प्रोटोटाइप विज्ञापन अगले साल तक लांच किया जा सकता है। सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद तकरीबन 50 वर्ग किलोमीटर आकार के विज्ञापन भेजे जाएंगे, जो दिन में तीन से चार बार और एक बार में छह मिनट तक आकाश में नजर आएंगे।
अनसुलझे सवाल
स्टार्टरॉकेट ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट वीडियो लांच किया, लेकिन विज्ञापनों के लिए किस तरह के रॉकेट का इस्तेमाल होगा? क्या अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन नियामक इस प्रोजेक्ट के लिए अनुमति देगा? और इन विज्ञापनों के लिए कितना पैसा चुकाना होगा? इस बारे में कंपनी ने कोई जानकारी नहीं दी।
एलन मस्क से मिली प्रेरणा
कंपनी के सीईओ व्लादिलेन सितनिकोव के मुताबिक एलन मस्क के स्पेसएक्स कंपनी से प्रेरणा मिली और रॉकेट लैब के डिस्को बॉल प्रोजेक्ट के बाद उन्होंने अंतरिक्ष में बिलबोर्ड विज्ञापन लगाने का फैसला किया। सितनिकोव का कहना है कि उनका इस प्रोजेक्ट ने दुनिया को विज्ञापन का सबसे अनूठा माध्यम उपलब्ध कराया है।
हो रही आलोचना
- ये विज्ञापन रात के समय चंद मिनट के लिए नजर आएंगे। दुनियाभर में कई विशेषज्ञ इस तरह के विज्ञापन को व्यर्थ मान रहे हैं।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्तमान में अंतरिक्ष में कई सैटेलाइट तैर रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ने पर इनका आपस में टकराने का खतरा भी बढ़ जाएगा।
- अनुमान के मुताबिक अंतरिक्ष की कक्षा में 7.5 हजार टन कचरा तैर रहा है, जो आने वाले समय में खतरे का सबब बन सकता है। इस तरह के सैटेलाइट प्रोजेक्ट इस कचरे को और बढ़ाएंगे।