सीरिया- ईरान विवाद पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का क्या है स्टैंड
रूस 2015 से सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करता आ रहा है। गृह युद्ध के दौरान रूस ने वायु सेना और सैनिकों की मदद सीरिया को मुहैया कराई थी।
मास्को (रॉयटर्स)। पिछले सप्ताह इजरायल ने सीरिया पर हवाई हमला कर मध्यपूर्व में खलबली पैदा कर दी है। इसराइली सेना ने पहली बार सीरिया में बड़े पैमाने पर सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने का दावा भी किया है। इससे पहले 10 फरवरी को सीरियाई सेना ने एक इसराइली लड़ाकू जेट को मार गिराया था। वहीं, अमेरिका ने इजरायल के समर्थन में बयान जारी किया। अब इस मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चाल आगे बढ़ी है। उन्होंने तय किया है कि या फिर वे सीरिया व ईरान का समर्थन करेंगे या फिर इस क्षेत्र में जोखिम को कम करना होगा। पुतिन के पास कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं, जिनसे उन्हें अपने फैसले को आसान बनाने के लिए जवाब देना होगा
बशर अल असद का समर्थन अब भी करना सही होगा?
रूस 2015 से सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करता आ रहा है। गृह युद्ध के दौरान रूस ने वायु सेना और सैनिकों की मदद सीरिया को मुहैया कराई थी। 17 महीने बाद असद की सेना ने आईएसआईएस को देश से खदेड़ फेंका। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सीरिया की सेना के लिए 200 रूसी अनुबंध सैनिकों की हत्या पिछले हफ्ते अमेरिका और कुर्द सेना द्वारा किे हमले में हुई। रूसी सेना के लगभग 400 सैनिकों युद्ध में मारे गए। वहीं सीरिया में मारे गए रूसी सैनिकों की संख्या 40 या उससे भी ज्यादा है। ऐसे में रूस अब यह सोचने पर मजूबर हो गया है कि क्या अब भी सीरिया को समर्थन देना सही फैसला होगा।
क्या ईरान का समर्थन करना सही फैसला होगा?
गृह युद्ध होने से पहले सीरियाई सरकार वर्षों से ईरान की प्रमुख मित्र रही है। इसलिए ईरान के समर्थन के बारे में सोचने से ज्यादा रूस को सीरियाई राष्ट्रपति असद की मदद करने का फैसला ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन अब इजरायल ईरान की मदद के लिए मैदान में और ज्यादा तैयारी के साथ आ गया है। इजराइल ने पुतिन को स्पष्ट कर दिया है कि सीरिया में ईरान की सेनाओं के साथ एक और संघर्ष अनिवार्य है। ऐसे में रूस किसी को अपना दुश्मन बनाना नहीं चाहता है।
वर्ष 2013 के बाद से रूस मध्यपूर्व में अपनी भागीदारी को लेकर एक नियम का पालन कर रहा है और वह सबसे से समन्वय बनाकर चलो। हालांकि पुतिन कई इरान के हित में मदद करते आए हैं। रूस सऊदी अरब में ईरान के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और तेल आपूर्ति का सौदा भी कर रहा है। लीबिया और मिस्र भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां पुतिन रूसी सैन्य प्रभाव बढ़ा रहे हैं। मध्यपूर्व में रूस की पहली प्राथमिकता सबको साथ लेकर चलने की है।