Russia-Ukraine War: दुनिया की 82 करोड़ आबादी भुखमरी का शिकार, जानें- क्या है भारत की स्थिति
Russia-Ukraine War रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से चल रहे युद्ध की वजह से विश्व की बड़ी आबादी भुखमरी का शिकार हो रही है। युद्ध की वजह से दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है। जानें- क्या है भारत की स्थिति।
वाशिंगटन, रायटर। पहले कोरोना महामारी और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया की बड़ी आबादी को भुखमरी की आग में झोंक दिया है। दुनियाभर में खाद्यान्न उपलब्धता पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों की रिपोर्ट में 2021 में भुखमरी को लेकर चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। पिछले साल दुनिया की करीब 10 प्रतिशत आबादी भुखमरी से प्रभावित रही। पिछले दो साल में तेजी से यह संख्या बढ़ी है। आंकड़े फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम और विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्टो से जुटाए गए हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध ने बिगाड़ी स्थिति
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डेविड बीसली ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्यान्न, ईंधन एवं फर्टिलाइजर की बढ़ती कीमतों ने कई देशों को भुखमरी में धकेल दिया है। आने वाले दिनों में संकट और गहराने की आशंका है। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और पलायन का कारण बनेगा। इस तबाही से बचना है, तो जल्द से जल्द कदम उठाना होगा। रूस और यूक्रेन वैश्विक स्तर पर क्रमश: तीसरे और चौथे सबसे बड़े खाद्यान्न निर्यातक हैं। वहीं रूस ईंधन और फर्टिलाइजर का भी बड़ा निर्यातक है। युद्ध ने इस सप्लाई चेन को बाधित किया है, जिससे पूरी दुनिया को संकट का सामना करना पड़ेगा।
वैश्विक खाद्यान संकट पर एक नजर
- 82.8 करोड़ लोग भुखमरी से प्रभावित रहे 2021 में
- 4.6 करोड़ बढ़ी है यह संख्या 2020 के मुकाबले
- 15 करोड़ ज्यादा है 2019 की तुलना में यह संख्या
- 2015 से 2019 के बीच भुखमरी के स्तर में स्थिरता रही थी
- 1.1 करोड़ लोगों की औसतन हर साल अस्वास्थ्यकर खानपान के कारण मौत हो जाती
- 22.00 प्रतिशत पांच साल से कम उम्र के बच्चे स्टंटिंग (उम्र के अनुरूप विकास न होना) का शिकार थे 2020 में
- 6.70 प्रतिशत बच्चे वेस्टिंग (लंबाई के अनुपात में कम वजन) का शिकार थे 2020 में
भारत में खाद्यान संकट की स्थिति
रूस यूक्रेन युद्ध ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना महामारी से उबरने का प्रयास कर रहे भारतीय बाजार को अब युद्ध की वजह से महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। इसका सबसे बुरा प्रभाव पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस समेत अन्य पेट्रोलियम पदार्थों पर पड़ रहा है। हालांकि खाद्यान संकट की बात करें, तो कृषि प्रधान देश होने की वजह से भारत के लिए ये संकट इतना बड़ा नहीं है। यही वजह है कि संकट के इस दौर में भारत ने अफगानिस्तान और म्यांमार को गेहूं और चावल की बड़ी खेप मदद के तौर पर भेजी है।