रूस-यूक्रेन के बीच क्रीमिया फैक्टर, अज़ोव सागर में युद्ध जैसे हालात, जाने- पूरा मामला
अज़ोव सागर ज़मीन से घिरा हुआ है और काला सागर से कर्च के तंग रास्ते से होकर ही इसमें प्रवेश किया जा सकता है।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। रूस और यूक्रेन के बीच संबंधों में तनाव की शुरुआत तब हुई, जब मार्च में यूक्रेन ने क्रीमिया से एक मछली पकड़ने वाली नाव जब्त कर ली थी। इसके बाद से ही रूस ने यूक्रेन पर निगरानी बढ़ा दी। लेकिन नवंबर महीने में रूस ने क्रीमियाई प्रायद्वीप के पास यूक्रेन के तीन जहाज़ों पर हमला करके उन्हें अपने क़ब्ज़े में ले लिया। यूक्रेन के तीन नौसैनिक जहाज़ों पर हमले के बाद रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया। यूक्रेन की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि रूस के विशेष बलों ने बंदूक़ों से लैस दो नावों और नौकाओं को खींचने वाले एक जहाज़ का पीछा किया और फिर उन्हें अपने क़ब्ज़े में ले लिया। यूक्रेन ने कहा है कि इस घटना में क्रू के छह सदस्य ज़ख्मी हुए हैं। यूक्रेन का कहना है कि ये नौकाएँ अवैध रूप से उसकी सीमा में चली आई थीं और उसने रूस को इस बारे में पहले से जानकारी दी थी।
यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू
यूक्रेन की संसद ने अपने तीन जहाज़ों और 23 नौसैनिकों पर रूस के क़ब्ज़े के बाद देश के एक हिस्से में मार्शल लॉ लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में 30 दिनों तक मार्शल लॉ लगाया गया है। ये वह क्षेत्र है, जहाँ रूस के हमले की आशंका है। इस दौरान प्रशासन ने विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूक्रेन सरकार आम लोगों को सैन्य सेवा के लिए बुला सकती है।
जंग से निपटने के लिए रूस के फाइटर जेट तैनात
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने यूक्रेन के इस फ़ैसले पर गहरी चिंता जताई है। इस घटना के बाद रूस ने यूक्रेन के बंदरगाह शहर से आने वाले जहाजों की जांच करना शुरू कर दिया है। यूक्रेन पर जल सीमा का उल्लंघन करने के बाद मॉस्को ने रूस निर्मित पुल के नीचे एक टैंकर खड़ा कर दिया है, जिससे अज़ोव सागर जाने का रास्ता बंद हो गया है। इसके साथ ही रूस ने इस क्षेत्र में दो फ़ाइटर जेट और दो हैलिकॉप्टरों को भी तैनात कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने दी चेतावनी
2003 की संधि के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच कर्च जलमार्ग और अज़ोव सागर के बीच जल सीमाएं बंटी हुई हैं। इस महीने की शुरुआत में यूरोपीय संघ ने रूस को यूक्रेन के जहाज़ों की निगरानी के ख़िलाफ़ क़दम उठाने की चेतावनी दी थी। यूरोपीय संघ कहना था कि आवाजाही की स्वतंत्रता को लेकर संधि के बावजूद भी जांच करना ग़लत है। उधर, संयुक्त राष्ट्र और नाटो ने रूस के इस कदम की निंदा की है।
रूस-यूक्रेन के बीच क्रीमिया फैक्टर
दरअसल, पांच वर्ष पूर्व यानी 2014 में रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप का पुन: अपने देश में शामिल कर लिया। इससे पूर्व तक ये प्रायद्वीप यूक्रेन का हिस्सा था। रूस ने यूक्रेन में अपनी सेना भेजकर क्रीमिया प्रायद्वीप को अपने कब्जे में लिया था। रूस का तर्क था कि इस प्रायद्वीप में सर्वाधिक जनसंख्या रूसियों की है, इसलिए उसने यह कदम उठाया। रूस का कहना था कि रूसियों की हिफाजत करना उसका दायित्व है। तब से रूस और यूक्रेन केे बीच क्रीमिया को लेकर तनाव चल रहा है।
अज़ोव सागर में क्या है यूक्रेन के हित
अज़ोव सागर क्रीमिया के पूर्व में और यूक्रेन के दक्षिण में स्थित है। अज़ोव सागर ज़मीन से घिरा हुआ है और काला सागर से कर्च के तंग रास्ते से होकर ही इसमें प्रवेश किया जा सकता है। इसके उत्तरी किनारों पर यूक्रेन के दो बंदरगाह हैं, बर्डयांस्क और मेरीपोल। इनका इस्तेमाल अनाज और इस्पात जैसे उत्पाद का निर्यात करने में उपयोग किया जाता है। यहां से कोयले का आयात भी होता है। यूक्रेन का कहना है कि ये बंदरगाह यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम हैं। यूक्रेन का तर्क है कि अगर रूस मेरीपोल से लोहे और स्टील के जहाज़ रोक लेता है तो इससे उसे हज़ारों डॉलर का नुकसान होगा।
सोवियत संघ के पृथक होने के बाद यूक्रेन का अारोप
दरअसल, 1954 में यूक्रेन तत्कालीन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। उस वक्त सोवियत संघ ने क्रीमिया प्रायद्वीप को यूक्रेनी-रूसी मैत्री और सहयोग के एक तोहफ़े के तौर पर इसे यूक्रेन को सौंप दिया था। लेकिन, सोवियत संघ के विखंडन के बाद यूक्रेन इससे अलग हो गया। इसके बाद क्रीमिया प्रायद्वीप रूस और यूक्रेन के बीच फसाद की वजह बन गया। आजादी के बाद यूक्रेन लगातार रूस पर यह आरोप लगाता रहा है कि कि वह यहां अलगाववादियों की मदद करता है।