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क्या भारत में जल्द शुरू होगा रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का उत्पादन? जानें विस्तार से

रूस की सरकारी कंपनी ने कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 को 92 फीसद कारगर बताया है। इसी हफ्ते रूस की तरफ से इसकी घोषणा की गई थी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है वहीं रूसी राष्ट्रपति ने भारत में जल्द ही इसका उत्पादन शुरू करने के संकेत दिए हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 07:25 PM (IST)
क्या भारत में जल्द शुरू होगा रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का उत्पादन? जानें विस्तार से
92 फीसद कारगर बताई गई है यह वैक्सीन

मॉस्को, एजेंसियां। कोरोना वैक्सीन परीक्षण के अब अच्छे परिणाम आने लगे हैं। अमेरिका की मॉडर्ना इंक और फाइजर वैक्सीन के बाद अब रूस ने भी अपनी वैक्सीन को कारगर बताया है। रूस की सरकारी कंपनी ने कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 को 92 फीसद कारगर बताया है। इसी हफ्ते रूस की तरफ से इसकी घोषणा की गई थी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि भारत में जल्द ही इसका उत्पादन शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों ही देश हमारी वैक्सीन स्पुतनिक-पांच का उत्पादन शुरू कर सकते हैं। स्पुतनिक 5 वैक्सीन को गामालेय इंस्टीट्यूट और आसेललेना कॉन्ट्रैक्ट ड्रग रिसर्च एंड डेवलमेंट द्वारा बनाया गया, जो कि रूस का संस्थान है। 

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बता दें कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन ने भी नई उम्मीदें जगाई हैं। यह वैक्सीन परीक्षण के आखिरी चरण में है और अब तक यह 94.5 फीसद कारगर पाई गई है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे अल्ट्रा कोल्ड स्टोरेज (अत्यधिक ठंडे) तापमान पर रखने की जरूरत नहीं होगी। इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान वाले सामान्य रेफ्रिजरेटर में 30 दिनों तक सही सलामत रखा जा सकेगा। अगर माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले विशेष रेफ्रिजरेटर में इसे रखा जाए तो यह छह महीने तक खराब नहीं होगी। इस खूबी के चलते भारत समेत विभिन्न देशों के दूरदराज के क्षेत्रों में भी टीकाकरण में आसानी होगी।

मॉडर्ना के प्रेसिडेंट स्टीफन होग ने कहा, 'हमारे पास जल्द ही एक ऐसी वैक्सीन आने जा रही है, जो कोरोना को रोक सकती है।' मॉडर्ना द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, उसकी वैक्सीन 94.5 फीसद प्रभावी है। यह अंतरिम आकलन 95 संक्रमितों पर परीक्षण के आधार पर किया गया है। इनमें से केवल पांच लोगों में हल्का संक्रमण दिखाई दिया, वह भी टीकाकरण के 28 दिनों बाद।

इससे पहले अमेरिका की ही दवा कंपनी फाइजर ने दावा किया था कि उसकी वैक्सीन 90 फीसद कारगर पाई गई है। अगले महीने तक इन दोनों वैक्सीन की आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति मिलने की उम्मीद है। वर्ष के अंत तक इन दोनों वैक्सीन की छह करोड़ से अधिक डोज उपलब्ध हो जाएंगी।

ट्रंप-बाइडन ने किया स्वागत

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और डब्ल्यूएचओ समेत विभिन्न लोगों ने मॉडर्ना की इस कामयाबी पर खुशी जताई है। ट्रंप ने ट्वीट किया कि उनके कार्यकाल में दूसरी कंपनी ने वैक्सीन की सफलता की घोषणा की है। जो बाइडन ने भी इस सफलता से उम्मीदें बढ़ने की बात कही है। अमेरिका के राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान के निदेशक डॉ. एंथनी फासी ने इसे अंधेरी सुरंग के आखिरी किनारे पर उम्मीद की एक किरण करार दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी बयान जारी कर मॉडर्ना की घोषणा को उत्साह बढ़ाने वाला बताया है।

फाइजर के शेयर टूटे

मॉडर्ना की घोषणा के बाद अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर के शेयरों के भाव गिर गए। फाइजर ने जब अपनी कोरोना वैक्सीन के 90 फीसद कारगर होने की घोषणा की थी, तब उसके शेयरों में जुलाई के बाद सबसे बड़ा उछाल आया था। लेकिन मॉडर्ना की घोषणा के बाद फाइजर के शेयर के भाव 4.1 फीसद गिर गए। उसकी जर्मन पार्टनर बायोएनटेक के शेयर भी 12.8 फीसद टूट गए। दूसरी ओर मॉडर्ना के शेयरों में नौ फीसद का उछाल आया।

भारत कर रहा बातचीत

भारत मॉडर्ना समेत कोरोना वैक्सीन विकसित कर रही दुनिया की अन्य कंपनियों से लगातार बातचीत कर रहा है। परीक्षण की प्रगति पर भारत की नजर है। सूत्रों ने बताया कि सिर्फ मॉडर्ना ही नहीं, बल्कि फाइजर, सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक, जायडस कैडिला के साथ भी वैक्सीन की प्रगति को लेकर बातचीत चल रही है। सुरक्षा के मसले पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन परीक्षण के तीसरे चरण में

स्वदेशी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जा रही 'कोवैक्सीन' के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो गया है। कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने यह जानकारी दी।

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के कार्यक्रम में एल्ला ने कहा कि कंपनी नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन पर भी काम कर रही है। यह वैक्सीन अगले साल तक आ सकती है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) के साथ मिलकर वैक्सीन विकसित कर रही है। तीसरे चरण का परीक्षण 26 हजार वॉलंटियर्स पर शुरू किया जा रहा है।


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