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COVID-19 vaccine: रूस की पहली कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक-5' पर उठे सवाल, बचाव में उतरी रूसी सरकार

रूस के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मिखाइल मुराशको ने कहा कि COVID-19 vaccine पर लगाए गए आरोप बाजार प्रतियोगिता से प्रेरित है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 02:33 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 03:01 PM (IST)
COVID-19 vaccine: रूस की पहली कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक-5' पर उठे सवाल, बचाव में उतरी रूसी सरकार
COVID-19 vaccine: रूस की पहली कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक-5' पर उठे सवाल, बचाव में उतरी रूसी सरकार

मास्‍को, एजेंसी। रूसी स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कोरोना वैक्‍सीन (COVID-19 vaccine) पर लग रहे आरोपों को निराधार और तर्कहीन बताया है। इंटरफैक्‍स समाचार एजेंसी के हवाले से स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मिखाइल मुराशको ने कहा कि बुधवार को रूस में निर्मित वैक्‍सीन पर यह आरोप लगाए गए कि यह असुरक्षित है। उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन पर लगाए गए आरोप बाजार प्रतियोगिता से प्रेरित है। बता दें कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को कहा था कि मानव परीक्षण के दो महीने बाद COVID-19 वैक्सीन को नियामक स्वीकृति देने वाला रूस पहला देश बन गया है। मॉस्को के इस फैसले बाद विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ गई है।

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मल्‍टीनैशनल फार्मा कंपनीज ने भी दी चेतावनी 

मल्‍टीनैशनल फार्मा कंपनीज की एक लोकल एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि क्लिनिकल ट्रायल पूरा किए बिना वैक्‍सीन के सिविल यूज की इजाजत देना खतरनाक कदम साबित हो सकता है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्‍स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को खुराक दी गई है, ऐसे में बड़े पैमाने पर इसका इस्‍तेमाल खतरनाक हो सकता है।

रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बना लेने का किया ऐलान

बता दें कि मंगलवार को रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बना लेने का ऐलान किया था। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसका ऐलान करते हुए कहा था कि उनके देश ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है। वैक्‍सीन की निंदा के बावजूद उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटी को भी यह टीका लगाया गया है और वह अच्छा महसूस कर रही है। रूस ने इस वैक्सीन का नाम स्पुतनिक-5 रखा है। यह रूस के एक उपग्रह का भी नाम है। रूस ने दावा किया कि इस टीके से स्थाई इम्यूनिटी विकसित की जा सकती है।

20 साल के शोध का नतीजा

रूस का दावा है कि कोरोना वैक्‍सीन उसके 20 साल के शोध का नतीजा है। इस बात पर लंबे वक्त से शोध किया जा रहा था कि वायरस कैसे फैलते हैं ? इन्हीं दो दशकों की मेहनत का नतीजा है कि देश को शुरुआत शून्य से नहीं करनी पड़ी। इसके चलते उन्हें वैक्सीन बनाने में एक कदम आगे आकर काम शुरू करने का मौका मिला। इस वैक्‍सीन को रूस रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर र‍िसर्च ने तैयार किया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि वैक्‍सीन में जो पार्टिकल्‍स यूज हुए हैं, वे खुद को रेप्लिकेट (कॉपी) नहीं कर सकते। शोध और निर्माण में शामिल कई लोगों ने खुद इस वैक्‍सीन की खुराक ली है। कुछ लोगों को वैक्‍सीन की डोज दिए जााने पर बुखार आ सकता है, जिसके लिए पैरासिटामॉल के इस्‍तेमाल की सलाह दी गई है। 


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