जानें- रूसी राष्ट्रपति के लिए अब संविधान में हो रहा है किस तरह का अहम बदलाव, जीवन भर होगा फायदा
रूस के संविधान में इस वर्ष दूसरा बड़ा बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत राष्ट्रपति पर आजीवन किसी भी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। इसमें पूर्व और मौजूदा राष्ट्रपति के पारिवारिक सदस्य भी शामिल होंगे।
मास्को। रूस के संविधान में इस वर्ष में दूसरी बार संशोधन किया जा रहा है। पहली बार इसमें जुलाई में संशोधन किया गया था। उस वक्त रूसी व्लादिमीर पुतिन को वर्ष 2036 तक के लिए राष्ट्रपति पद पर बने रहने के अधिकार दिए गए थे। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अब दूसरे संशोधन के तहत पद से हटने के बाद बाद भी राष्ट्रपति पर किसी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा। दोनों सदनों में पास होने के बाद इस विधेयक पर खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ही हस्ताक्षर करेंगे।
संविधान में संशोधन के बाद भी कोई राष्ट्रपति यदि गंभीर अपराध या राजद्रोह की श्रेणी में आएगा तो उसको अपवाद की श्रेणी में रखा जाएगा। ऐसे अपराध के लिए राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जा सकेगा। इस विधेयक को फिलहाल रूस के निचले सदन डूमा से समर्थन हासिल हो गया है। इस नए संशोधन के दायरे में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी आएंगे। आपको बता दें कि फिलहाल पूर्व राष्ट्रपति के नाम पर केवल दमित्री मेदवेदेव ही जीवित हैं जो मौजूदा राष्ट्रपति के करीबी रह चुके हैं। दमित्री देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।
नए विधेयक के पास होने और इसके कानून बन जाने के बाद इसका फायदा न सिर्फ पूर्व और मौजूदा राष्ट्रपति उठा सकेंगे बल्कि उनके परिवार से जुड़े सदस्यों को भी इसका लाभ मिल सकेगा। इस संशोधन के बाद राष्ट्रपति के पारिवारिक सदस्य किसी भी तरह की पुलिस जांच और पूछताछ के दायरे में नहीं आएंगे। इन लोगों की संपत्ति को जब्त करने का भी अधिकार किसी को नहीं होगा। आपको बता दें कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का ये चौथा कार्यकाल है जो वर्ष 2024 में पूरा हो रहा है। लेकिन पूर्व में हुए संशोधन के बाद वो अभी 12 वर्ष तक और राष्ट्रपति रह सकते हैं।
गौरतलब है कि रूस के संविधान में जब जुलाई में संशोधन किया गया था तब इस प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लगा था। इसके बाद इसको राष्ट्रपति की अंतिम मंजूरी मिली थी। उस वक्त जो संशोधन किया गया था उसमें समान लिंग के विवाह को अस्वीकार किया गया था। इस संविधान संशोधन का प्रस्ताव पुतिन की तरफ से इस वर्ष जनवरी में ही दिया गया था। इस संशोधन को लेकर जनमत संग्रह तक करवाया गया था।
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