तुर्की-सीरिया संघर्ष पर मॉस्को की नई पहल, पुतिन ने तुर्की राष्ट्रपति से फोन पर की बात
खास बात यह है कि क्रेमलिन की यह पहल उस समय सामने आई है जब कई अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा रखा है।
मॉस्को, एजेंसी । रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सीरिया-तुर्की संघर्ष को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान से फोन पर बात की। उन्हाेंने संघर्ष विराम के समाधान के लिए तुर्की के नेताओं को माॅस्को आने का निमंत्रण दिया है। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि तुर्की की राष्ट्रपति ने पुतिन का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
खास बात यह है कि क्रेमलिन की यह पहल उस समय सामने आई है, जब कई अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा रखा है। एेसे में रूसी राष्ट्रपति की यह पहल मायने रखती है। रूसी राष्ट्रपति ने फोन पर कहा कि क्षेत्र में शांति जरूरी है। उन्होंने तुर्की सेना और सीरियाई सशस्त्र बलों की इकाइयों के बीच टकराव को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीरियाई राष्ट्रपति रूस का समर्थन
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद सरकार को रूस और ईरान का समर्थन हासिल है। यही वजह है कि असद सरकार गृहयुद्ध के बाद भी अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं। वर्ष 2011 में असद के खिलाफ हुए संघर्ष के बाद भी वह अपनी सत्ता बचाने में सफल रहे। अमेरिका ने इस संघर्ष में असद के खिलाफ जंग लड़ने वालों कुर्दों का साथ दिया। लेकिन अमेरिका ने नॉर्थ ईस्ट सीरिया से सैनिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया। कुर्दों के पास अब तक अमेरिका का संरक्षण हासिल था। लेकिन अमेरिकी सैनिकों की वापसी के कारण उनकी स्थिति कमजोर हुई है। अमेरिकी सैनिकों के हटते ही तुर्की ने कुर्दों पर हमला तेज कर दिया अब वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस नए समीकरण में कुर्दों ने अपना पाला बदल लिया है। अब वह सीरियाई सरकार से मिल गए हैं।
तुर्की और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा
तुर्की नाटो का सदस्य देश है। अमेरिका के बाद नाटो का यह सबसे बड़ा सदस्य देश है। कुछ अरसे से तुर्की और अमेरिका के बीच खटास आई है। इसके चलते रूस और तुर्की एक दूसरे से काफी निकट आए हैं। तुर्की और अमेरिका के बीच यह खाई लगाता बढ़ रही है। अमेरिका से खिंचाव ने पुतिन और एर्दोगान को समझौतों और आपसी सहयोग के लिए प्रेरित किया है। तुर्की ने रूस से मिसाइल शील्ड की खरीदारी की हैं। अब इस बात की संभावना बन रही है कि रूस और तुर्की और निकट आएंगे। यह अच्छा मौका है जब दोनों देशों के बीच बड़ा करार हो सकता है।
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