रूस भी 42 साल पहले कर चुका है संक्रमण की चीनी कारस्तानी, अज्ञात बीमारी से मरे थे 66 लोग, जानें- और भी बहुत कुछ
जैविक हथियारों के विशेषज्ञ मेसलसन ने बताया कि 1992 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वह और उनकी पत्नी मेडिकल एंथ्रोपोलाजिस्ट जेनी गुलियन येकटरिंगबर्ग शहर पहुंचे और अन्य अमेरिकी विशेषज्ञों के साथ इस घटना का गहन अध्ययन किया।
येकटरिंगबर्ग, न्यूयार्क टाइम्स। रूस में 42 साल पहले वर्ष 1979 के अप्रैल और मई महीने में अस्पतालों में अचानक अजीब किस्म के न्यूमोनिया के लक्षणों वाले मरीज आने लगे। कुछ ही दिनों में कम से कम 66 लोग इस अज्ञात बीमारी से मर गए। खुफिया पुलिस ने तब मरीजों के रिकार्ड जब्त कर लिए और डॉक्टरों को अपना मुंह बंद रखने की हिदायत दी। अमेरिकी जासूसों को तब रूस की एक लैब से कुछ लीक होने की जानकारी मिली। लेकिन रूस के स्थानीय प्रशासन ने अजीबोगरीब दलील देते हुए कहा कि यह बीमारी संक्रमित मीट से फैली है। अगर यह जानकारियां आपको जानी पहचानी लग रही हैं तो तब यह घटनाएं साम्यवादी देश सोवियत संघ (रूस) में हुईं थीं। और अब यह हालात कोविड-19 को लेकर चीन से शुरू हुए हैं।
हालांकि तब सोवियत संघ में हवा में फैलने वाला यह जानलेवा एंथ्रैक्स संक्रमण वहां की एक सैन्य लैब से लीक हुआ था। हालांकि तब भी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सोवियत संघ के दावे पर भरोसा जताते हुए कहा था कि संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया जानवरों से इंसानों में आए हैं। 1990 में शुरू हुई विधिवत जांच के नतीजे सामने आने के बाद पता चला है कि रूस के येकटरिंगबर्ग शहर की लैब से संक्रमण लीक हुआ था। आजकल उस समय के पीड़ितों की पहचान छिपाने के लिए उनकी कब्रों को अलग-थलग करके उनके ऊपर से नाम की पट्टी हटा दी गई है। उनके शवों को कृषि में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के साथ दफनाया गया था।
जैविक हथियारों के विशेषज्ञ मेसलसन ने बताया कि 1992 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वह और उनकी पत्नी मेडिकल एंथ्रोपोलाजिस्ट जेनी गुलियन येकटरिंगबर्ग शहर पहुंचे और अन्य अमेरिकी विशेषज्ञों के साथ इस घटना का गहन अध्ययन किया। उन्होंने माना कि दो अप्रैल, 1979 को पूर्वोत्तर की हवाओं के कारण कुछ मिलीग्राम एंथ्रैक्स फैल गया। हवाओं के कारण यह संक्रमण फैक्ट्री से बाहर कम से कम 30 मील की दूरी तक फैल गया।
उस समय येकटरिंगबर्ग शहर की निवासी और एक सेरेमिक फैक्ट्री की कर्मी रेजा स्मिरनोवा (32) ने बताया कि उसके कुछ दोस्तों को एक खुफिया परिसर में जाने की इजाजत थी। वह अपने पहुंच का इस्तेमाल करते हुए उसे नारंगी और डिब्बाबंद मीट दिलवाते थे जो उस समय मिलना मुश्किल था। उसे यह भी पता चला था कि वहां कीटाणुओं पर कुछ खुफिया काम चल रहा था। उससे केजीबी ने 25 सालों तक किसी को कुछ भी नहीं बताने के लिए दस्तावेजों पर दस्तखत भी कराए थे।
इस पुराने वाकिये से जाहिर है कि कैसे एक अधिनायकवादी सरकार किसी बीमारी की कहानी को बदल कर दुनिया के सामने पेश करती है। बहुत से विज्ञानियों का मानना है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 भी जानवरों से पैदा हुई और इंसानों में फैल गई। लेकिन वैज्ञानिक यह भी चाहते हैं कि चीन के वुहान की वायरोलाजी लैब से भी यह घातक वायरस लीक हो सकता है। इसकी गहरी जांच की जरूरत है। चिंता की बात यह भी है कि दशकों पहले सोवियत सरकार की ही तरह माओवादी चीन सरकार भी किसी लैब लीक की आशंका से इन्कार कर रही है।