आर्कटिक की बढ़ती गर्मी ला सकती है तीव्र भूकंप, नए अध्ययन में किया गया दावा
जब से शोधकर्ताओं ने आर्कटिक की निगरानी शुरू की है तब से दो बार अचानक गर्मी बढ़ने के देखे गए। पहला मामला पिछली सदी के दूसरे और तीसरे दशक के बीच और दूसरा मामला पिछली सदी के आठवें दशक बाद शुरू हुआ जो आज तक जारी है।
मॉस्को, आइएएनएस। यह तो लगभग सभी जानते ही हैं कि महासागरों में भूस्खलन और भू-गर्भिक प्लेटों के खिसकने से अक्सर भूकंप आते हैं। अब एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि आर्कटिक क्षेत्र में लगातार बढ़ती गर्मी से भी विनाशकारी भूकंप आ सकते हैं। आर्कटिक के प्रेमाफ्रोस्ट और शेल्फ जोन से मीथेन गैस का रिसाव सबसे ज्यादा होता है। जलवायु का गर्म करने में इस गैस भूमिका सर्वाधिक रहती है। प्रेमाफ्रोस्ट ऐसे क्षेत्र को कहते हैं जो दो या उससे अधिक वर्षो तक बर्फ से ढका रहे और शेल्फ जोन से आशय ऐसे महाद्वीपीय इलाके से है जो जल के भीतर समुद्रतल से कम ऊंचाई पर स्थिति हो। ऐसे इलाकों में पानी की गहराई कम होती है।
रूस के मकाऊ इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने जताई चिंता
जर्नल जियोसाइंसेस में प्रकाशित इस अध्ययन में इस क्षेत्र में अचानक तापमान में बदलाव के कारकों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि ग्लोबल वाìमग को व्यापक रूप से मानव गतिविधि के कारण माना जाता है, जो वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को बढ़ाता है। हालांकि, यह दृष्टिकोण इस बात को स्पष्ट नहीं करता है कि तापमान कभी-कभी अचानक क्यों बढ़ जाता है।
जब से शोधकर्ताओं ने आर्कटिक की निगरानी शुरू की है तब से दो बार अचानक गर्मी बढ़ने के देखे गए। पहला मामला पिछली सदी के दूसरे और तीसरे दशक के बीच और दूसरा मामला पिछली सदी के आठवें दशक बाद शुरू हुआ जो आज तक जारी है। इस अध्ययन में रूस के मकाऊ इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता लियोपोल्ड लॉबकोवस्की ने कहा कि अचानक तापमान में बदलाव भू-आवेग (जियो-डायनामिक) कारकों को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से उन्होंने अलेउतियन आर्क में बड़े भूकंपों की एक श्रृंखला की ओर भी इशार किया, जो आर्कटिक के सबसे नजदीक स्थिति एक ज्वालामुखी क्षेत्र है।
भूकंप और जलवायु के बीच है संबंध : लॉबकोवस्की ने कहा कि अलेउतियन आर्क में बड़े भूकंप और जलवायु के गर्म होने के बीच एक स्पष्ट संबंध है। उपयुक्त वेगों पर स्थलमंडल (लिथोस्फेयर) में तनाव पैदा करने के लिए पहले से ही एक तंत्र मौजूद है। यदि इस पर बाहर से या अन्य कारकों से दबाव पड़ता है तो यह प्रेमाफ्रोस्ट को खत्म करने लगता है, जिससे मीथेन का रिसाव होने लगता है और गर्मी बढ़ने लगती है। तापमान बढ़ने में भूगर्भीय हलचल बढ़ जाती है। अध्ययन में यह दावा भी किया गया है कि अलेउतिन आर्क 20वीं शताब्दी में भूकंपों के लिए एक साइट सरीखी हो गई थी, जहां आए दिन भूकंप आते थे।