अफगान समझौते से सियासी संकट खत्म होगा, सीधी वार्ता का मार्ग होगा प्रशस्त
समझौते से अफगानिस्तान में सीधी वार्ता का मार्ग प्रशस्त होगा। अफगानिस्तान में रूस पाकिस्तान ईरान और चीन के विशेष प्रतिनिधियों ने यह उम्मीद जताई है।
मास्को, एएनआइ। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला के बीच हुए समझौते से देश में चल रहे राजनीतिक संकट को खत्म करने में मदद मिलेगी। साथ ही अफगानिस्तान में सीधी वार्ता का मार्ग प्रशस्त होगा। अफगानिस्तान में रूस, पाकिस्तान, ईरान और चीन के विशेष प्रतिनिधियों ने यह उम्मीद जताई है।
अशरफ गनी और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला ने 17 मई को शक्ति बंटवारे के करार पर हस्ताक्षर किए थे
बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला-अब्दुल्ला ने 17 मई को शक्ति बंटवारे के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे देश में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
दो प्रशासक होने से महीनों से चल रहे राजनीतिक गतिरोध होगा समाप्त
ये समझौता दो प्रशासक होने से नवनिर्मित सरकार के भीतर महीनों से चल रहे राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने में सक्षम होगा।
समझौते के अनुसार अशरफ गनी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बने रहेंगे
समझौते के अनुसार अशरफ गनी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बने रहेंगे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला-अब्दुल्ला तालिबान के साथ शांति वार्ता का नेतृत्व करने के अलावा सरकार में समान संख्या में मंत्री का चयन कर सकते हैं।
राजनयिकों ने अफगानिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता को सुरक्षित करने की बात दोहराई
वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान चर्चा के बाद रूसी विदेश मंत्रालय ने एक संयुक्त बयान में कहा, 'सभी ने अफगानिस्तान के आंतरिक राजनीतिक घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा की और अमेरिका व तालिबान के बीच समझौते को जल्द से जल्द लागू करने को बल दिया।' राजनयिकों ने अफगानिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को हर हाल में सुरक्षित करने की बात दोहराई।