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मॉस्को में बड़ी सैन्य परेड कर पुतिन का पश्चिमी देशों को कड़ा संदेश, कहा- हमारे लिए राष्ट्रहित सबसे ऊपर

इस परेड में 12000 से ज्यादा सैनिकों ने भाग लिया और 190 विध्वंसकारी सैन्य हथियारों का प्रदर्शन किया गया। पुतिन ने यह परेड लाल चौक पर बने मंच से रूसी सेना के अवकाश प्राप्त बुजुर्ग सैन्य योद्धाओं के साथ बैठकर देखी।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 11:40 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 11:40 PM (IST)
मॉस्को में बड़ी सैन्य परेड कर पुतिन का पश्चिमी देशों को कड़ा संदेश, कहा- हमारे लिए राष्ट्रहित सबसे ऊपर
पश्चिमी देशों और रूस के संबंधों में चल रहा तनाव

मॉस्को, रायटर। रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को द्वितीय विश्वयुद्ध में मिली जीत की याद में निकाली गई परंपरागत परेड का निरीक्षण किया। इस मौके पर रूसी सेना ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन भी किया। यह सब ऐसे समय पर किया गया जब पश्चिमी देशों और रूस के संबंधों में तनाव चल रहा है।

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यह परेड मॉस्को के लाल चौक से होकर गुजरी। इसका आयोजन जर्मनी पर रूस की विजय की 76 वीं वर्षगांठ पर किया गया था। इस परेड में 12,000 से ज्यादा सैनिकों ने भाग लिया और 190 विध्वंसकारी सैन्य हथियारों का प्रदर्शन किया गया। बादल भरे आकाश के नीचे करीब 80 लड़ाकू विमानों ने अपने कौशल का प्रदर्शन भी किया। 1999 से रूस की सत्ता पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के रूप में काबिज पुतिन ने यह परेड लाल चौक पर बने मंच से रूसी सेना के अवकाशप्राप्त बुजुर्ग सैन्य योद्धाओं के साथ बैठकर देखी। इस मौके पर जारी संदेश में पुतिन ने कहा, दुर्भाग्य से एक बार फिर नाजियों की विचारधारा वाली चीजों को तैयार किया जा रहा है। ऐसा कट्टरपंथी और अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों द्वारा ही नहीं हो रहा, बल्कि कुछ देश भी इसमें शामिल हैं। उनका उद्देश्य यूरोप में नव नाजीवाद की स्थापना करना है।

पुतिन ने कहा, रूस हर संभव तरीके से अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करेगा। लेकिन वह अपने राष्ट्रीय हितों और अपने लोगों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखेगा। यह बात सबको ध्यान में रखनी चाहिए।

यह परेड जिस समय हुई है उस समय यूक्रेन और जेल में बंद विपक्षी नेता एलेक्सई नवलनी को लेकर रूस के पश्चिमी देशों से तनावपूर्ण संबंध चल रहे हैं। अमेरिका और रूस ने अपने-अपने देशों से एक-दूसरे के राजनयिकों को कुछ समय पहले ही निष्कासित किया है। यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों ने भी रूस के साथ ऐसा ही व्यवहार किया है। यह परेड ऐसे समय में हुई है जबकि यूक्रेन की सीमा पर और क्रीमिया में रूस ने बड़ी सैन्य तैनाती कर रखी है। बड़े हथियारों के प्रदर्शन वाली इस परेड को यूक्रेन और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के बीच हो रहे सैन्य अभ्यास का जवाब भी माना जा रहा है।

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