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यूरोप में अगले वर्ष आएगी कोरोना की थर्ड वेव, वैक्‍सीन आने से पहले हालात हो सकते हैं बेकाबू!

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के प्रमुख के विशेष दूत ने यूरोप को चेताया है कि यहां पर अगले वर्ष इसकी तीसरी लहर आ सकती है। इसकी वजह यूरोप का इस महामारी से कारगर तरीके से न निपटना रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 02:36 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 02:36 PM (IST)
यूरोप में अगले वर्ष आएगी कोरोना की थर्ड वेव, वैक्‍सीन आने से पहले हालात हो सकते हैं बेकाबू!
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के प्रमुख के विशेष दूत

जिनेवा। पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से दस माह बाद भी जूझ रही है। हालांकि अब इसकी वैक्‍सीन को लेकर उम्‍मीद जरूर जगी है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत डेविड नाबारो ने यूरोप को चेताया है कि यहां पर अगले वर्ष इस महामारी की तीसरी लहर भी आ सकती है। उन्‍होंने स्विटजरलैंड की समाचार एजेंसी एसडीए को दिए एक इंटरव्‍यू में इस बात को कहा है। उनका ये भी कहना है कि यूरोप के कुछ देशों में इसकी दूसरी लहर को भी देखा जा रहा है। इस दौरान कई देशों में इसके मामले बढ़े हैं। आपको बता दें कि यूरोप में बढ़ते कोविड-19 के मामलों की वजह से कुछ देशों में आंशिक लॉकडाउन भी लगाना पड़ा है।

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अगले वर्ष आएगी थर्ड वेव 

इस इंटरव्‍यू में नाबारो ने कहा है कि यूरोप के हालात इस तरह के हैं कि यहां पर इसकी थर्ड वेव के आने की आशंका अधिक है। फिलहाल पूरी दुनिया की निगाहें इसकी वैक्‍सीन पर टिकी है। लेकिन इससे पहले ही यूरोप के हालात बिगड़ सकते हैं। उनके मुताबिक यूरोप में इस वर्ष की गर्मियों में कोविड-19 की पहली लहर देखी गई थी, जबकि अब दूसरी लहर चल रही है। इस दौरान यूरोप इससे निपटने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा तैयार करने में नाकाम रहा है। ऐसे हालात में अगले वर्ष इसकी तीसरी लहर होगी। उन्‍होंने कोविड-19 से निपटने के लिए एशिया में उठाए जा रहे कदमों की भी सराहना की है। उनका कहना है कि यूरोप को एशिया से इस बारे में सीख लेनी चाहिए। इसके समाधान के लिए जल्‍द और ठोस फैसले लेने की जरूरत होगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हालात बेकाबू होंगे।

एशिया में कम आए मामले

गौरतलब है कि सर्दियों की शुरुआत में ही यूरोप में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। जर्मनी की ही यदि बात करें तो यहां पर 22 नवंबर को 14 हजार नए मामले दर्ज किए गए थे। वहीं एशियाई देश जापान में इससे एक दिन पहले करीब ढाई हजार मामले सामने आए थे। वहीं दक्षिण कोरिया में 400 से भी कम नए मामले सामने आए थे। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूरोप के मुकाबले एशिया इस महामारी से बेहतर तरीके से निपट रहा है।

तेजी से बढ़ता है संक्रमण

उन्‍होंने इसकी रोकथाम के बारे में एक राय नहीं रखने वाले नेताओं पर भी कटाक्ष किया है। उनका कहना है कि इस तरह के वायरस से संक्रमण की संख्‍या महज सात दिनों के अंदर ही आठ गुना तक बढ़ सकती है। वहीं अगले सात दिनों में ये 40 गुना तेजी से हो सकती है। तीसरे सप्‍ताह में ये 300 और चौथे सप्‍ताह में हजार गुना तेजी से फैलता है। रोकथाम के सही उपाय न करने पर ये इसी दर से आगे भी बढ़ सकता है। एशियाई देशों में इसकी रोकथाम के उपायों की तारीफ करते हुए उन्‍होंने कहा कि वहां पर लोग इससे जुड़े नियमों का सख्‍ती से पालन कर रहे हैं। यही वजह है कि वहां पर मामलों में कमी देखी गई है।

एशिया में हुआ नियमों का पालन

उन्‍होने इसकी रोकथाम को लेकर लेकर लगाए गए लॉकडाउन को लेकर भी एशियाई देशों की सराहना की। उनका कहना था कि इन देशों ने आननफानन में कुछ नहीं किया। लॉकडाउन लगाने के बाद यहां पर मामले कम होने का पूरा इंतजार किया गया जबकि यूरोप में इसको हटाने को लेकर जल्‍दबाजी दिखाई गई, जिसका खामियाजा आज वो भुगत रहा है। लिहाजा यूरोप को एशिया से आ रहे इस संदेश को समझना चाहिए और ये जान लेना चाहिए कि इसको लेकर बनाए नियमों का पालन हर हाल में करना होगा। बिना ऐसा करे समस्‍या से नहीं निपटा जा सकता है।


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