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दूसरे इस्‍लामिक देशों के मुकाबले भारत है मुस्लिमों के लिए सबसे बेहतर, जानें क्‍यों

भारत में रहने वाले मुसलमान दुनिया के मुस्लिम बहुल देशों के मुकाबले अधिक सुरक्षित रहते हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 05:06 PM (IST)
दूसरे इस्‍लामिक देशों के मुकाबले भारत है मुस्लिमों के लिए सबसे बेहतर, जानें क्‍यों
दूसरे इस्‍लामिक देशों के मुकाबले भारत है मुस्लिमों के लिए सबसे बेहतर, जानें क्‍यों

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारत की धरती देश दुनिया के मुसलमानों के लिए पूरी तरह से मुफीद है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यही वजह है कि यहां पर रहने वाले मुस्लिम अन्‍य मुस्लिम देशों की तुलना में बेहतर पाते हैं। आपको बता दें कि इस्‍लामिक सहयोग संगठन के करीब 57 सदस्‍य देश हैं। इन देशोंं की पहचान एक कट्टर मुस्लिम देशों के रूप में होती है। लेकिन इनमें से कुछ गिने-चुने देशों को यदि छोड़ दें तो ज्‍यादातर देश आपसी या आतंरिक कलह, आतंकवाद और भयंकर अपराध के गढ़ हैं। 

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मिडिल ईस्‍ट के देशों की बात करें तो सऊदी अरब, ईरान, इराक, सीरिया, तुर्की समेत करीब 18 देश आते हैं। इनमें से कुछ देश काफी अमीर हैं लेकिन वहां पर अशांति व्‍याप्‍त है। वहीं पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान की हालत किसी से अछूती नहीं रही है। इनके अलावा अफ्रीका में मौजूद मुस्लिम राष्‍ट्र ज्‍यादातर भयंकर आतंकवाद, भूखमरी और अपराध से ग्रसित हैं। लिहाजा यहां की जनता हर रोज मरती है। यही वजह है कि सईद नसीरुद्दीन चिश्ती का बयान काफी मायने रखता है। इससे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी इसी तरह का बयान दिया था। 

भारत से बेहतर कोई देश नहीं  

ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के मुख्य संरक्षक और ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी सईद नसीरुद्दीन चिश्ती का कहना है कि मुसलमानों के लिए भारत से बेहतर कोई देश नहीं है। यहां रहने वाले मुसलमान पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जिस जिहाद के लिए मुसलमानों को उकसा रहे हैं, वह शर्मनाक है। इमरान बदसुलूकी का हवाला देकर बयान देते रहे हैं, लेकिन इमरान फिलिस्तीन और चीन में मुसलमानों की अनदेखी के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते। उन्हें इन दोनों  देशों के खिलाफ जंग शुरू करनी चाहिए। 

आपस में ही लड़ते रहते शिया सुन्नी 

आपको यहां पर ये भी बता दें कि इमरान जिन मुस्लिमों की नुमाइं‍दगी करने की बात कहकर उनका नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं वही लोग उन्‍हें सिरे से खारिज करते आए हैं। खुद पाकिस्‍तान के नेता ही उन्‍हें इस काबिल नहीं मानते हैं। पाकिस्‍तान की संसद में इमरान पर कई तरह के आरोप लगाने वालों में उनके ही देश के नेता शामिल हैं। पाकिस्‍तान की बात चली है तो आपको बता दें कि मुस्लिम राष्‍ट्र होने के बाद वहां पर शिया-सुन्नी झगड़े आम बात हैं। इसके अलावा वहां पर दूसरे धर्म के लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं।

शिया सुन्‍नी के नाम पर खराब हैं रिश्‍ते

पाकिस्‍तानी मूल के मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ अजाकिया मानते हैं। पाकिस्‍तान में जितने जुल्‍म दूसरे धर्मों के लोगों के ऊपर किए जाते हैं वह कहीं और नहीं होते। आपको यहां पर ये भी बता दें कि मुस्लिम राष्‍ट्र होने के बाद भी शिया सुन्‍नी के नाम पर कई देशों के आपसी रिश्‍ते बेहद खराब हैं। इन मुल्कों में तमाम तरह के और भी प्रतिबंध है जिससे महिलाएं खुलकर सांस भी नहीं ले पाती है।

भारत में 17 करोड़ 20 लाख मुसलमान 

भारत में 17 करोड़ और 20 लाख मुसलमान रहते हैं। ये ब्रिटेन, स्पेन और इटली की कुल आबादी के बराबर हैं। ये दुनिया के किसी भी देश में मुसलमानों की तीसरी सबसे ज्यादा बड़ी आबादी है और हिंदुस्तान के मुसलमानों में जितनी विविधता देखने को मिलती है वो किसी और देश के मुसलमानों में नहीं दिखती। पिछले 1,400 सालों में हिंदुस्तान के मुसलमानों ने खान-पान, शायरी, संगीत, मुहब्बत और इबादत का इतिहास बनाया और जिया है।

खुलकर जीने की आजादी नहीं

मुस्लिम बहुल देशों की महिलाओं को खुलकर जीने की आजादी नहीं है। जबकि भारत में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। वो यहां पर आराम से घूम सकती है बिन अबाया और बुर्के के भी बाहर जा सकती हैं। जबकि मुस्लिम बहुल देशों में इन सभी चीजों का बहुत ध्यान रखा जाता है। इनका पालन न करने पर उन पर वहां के कानून के हिसाब से कार्रवाई भी की जाती है। जुर्माना लगाया जाता है और अन्य तरह के दंड भी दिए जाते हैं। 

राजधानी दिल्ली में दुगुनी हो गई मुस्लिमों की जनसंख्या 

उत्तर प्रदेश के 70 में से 19 जिले 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले हैं। हरियाणा की मुस्लिम जनसंख्या तीन गुनी हो गई है। जम्मू कश्मीर के 7 जिले 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले हैं। सम्पूर्ण केरल में मुस्लिम जनसंख्या 19.2 प्रतिशत हो गयी है। देश की राजधानी दिल्ली में 1951 में मुस्लिम जनसंख्या 5.71 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर लगभग दुगुनी 11.72 प्रतिशत हो गयी है। 

राज्य के हिसाब से भाषा

तमिलनाडु के मुस्लिम तमिल बोलते हैं तो केरल में वो मलयालम, उत्तर भारत से लेकर हैदराबाद तक बहुत से मुसलमान उर्दू का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा वो तेलुगू, भोजपुरी, गुजराती, मराठी और बंगाली भाषा भी अपनी रिहाइश के इलाकों के हिसाब से बोलते हैं। बंगाल में रहने वाला मुसलमान, बांग्ला बोलता है और किसी आम बंगाली की तरह मछली का शौकीन होता है। भारत में सभी नागरिकों को एक समान अधिकार प्राप्‍त हैं। 

शिया-अहमदी भी शिकार

पाकिस्तान में शिया मुसलमान भी लगातार बेरहमी से मारे जा रहे हैं। इसी तरह से वहां पर अहमदिया मुसलमानों को मुसलमान ही नहीं माना जाता है। शिया वहां की आबादी का 10 से 15 फीसदी है। विभाजन के समय लगभग 25 फीसद थे, समूचे पाकिस्तान में शिया मुसलमानों और इनकी मस्जिदों पर हमले होते हैं। उनके भी मानवाधिकारों को कोई देखने-सुनने वाला नहीं है। 


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