Move to Jagran APP

कहीं पाकिस्तान के लिए घातक साबित न हो जाए ‘तहरीक-ए-तालिबान’, इस रिपोर्ट ने बढ़ाई इमरान की चिंता

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को ‘पाकिस्तानी तालिबानी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पाकिस्तान का एक आतंकवादी संगठन है जिसकी जड़ें अफगान तालिबान से जुड़ी हैं। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की बढ़ती हुई ताकत से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे पुराने समूह भी लगातार मजबूत हुए हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 11:28 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 11:28 AM (IST)
कहीं पाकिस्तान के लिए घातक साबित न हो जाए ‘तहरीक-ए-तालिबान’, इस रिपोर्ट ने बढ़ाई इमरान की चिंता
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल फोटो)

इस्लामाबाद, एएनआइ। अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने के लिए दुनियाभर में बहस छिड़ी है। अमेरिकी सैनिकों की घर वापसी के बाद से अफगानिस्तान के पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंध अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाए हैं। इसकी एक बड़ी वजह अफगानिस्तान में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों को माना जा रहा है। इस्लाम खबर के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने अल कायदा और इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) की स्थिति को मजबूत किया है। यहां तक कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा पाकिस्तानी सुरक्षा की अवहेलना भी की गई है।

loksabha election banner

दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को ‘पाकिस्तानी तालिबानी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पाकिस्तान का एक आतंकवादी संगठन है, जिसकी जड़ें अफगान तालिबान से जुड़ी हैं। प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की बढ़ती हुई ताकत से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे पुराने समूह भी लगातार मजबूत हुए हैं। जिससे ईरान, चीन और मध्य एशिया में इनका प्रभाव भी बढ़ा है। हालांकि इस संगठन के मजबूत होने से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिंसा में भी तेजी देखने को मिली है। पिछले नवंबर में शिया बहुल हेरात में एक मस्जिद में हुए विस्फोट ने ईरान को चिंतित कर दिया है।

इस्लाम खबर की रिपोर्ट के अनुसार, चीन भी इस बात से चिंतित है कि शिनजियांग के उसके उइगर विद्रोही अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र के अशासकीय क्षेत्रों में मौजूद हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान का मामला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से काफी खराब है। टीटीपी अपनी हिंसा को कबायली फाटा क्षेत्र से बाहर फैला रहा है, और कराची से लाहौर और इस्लामाबाद में स्थापित कर रहा है। इस्लाम खबर ने बताया कि पंजाब, उत्तरी सिंध और बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों में टीटीपी कैडरों की गिरफ्तारी इनके प्रसार का मजबूती से संकेत भी देती है। इनके द्वारा पुलिसकर्मियों और पुलिस थानों पर 'डर' पैदा करने के लिए हमले भी किए जा रहे हैं।

खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख मोअज्जम जाह अंसारी ने कहा, हाल के दिनों में IS-K ने इस प्रांत की शांति और सुरक्षा को टीटीपी की तुलना में अधिक खतरा पैदा किया है। पिछले साल अक्टूबर में, IS-K ने प्रांतीय राजधानी में सरदार सतनाम सिंह (खालसा) नामक एक प्रसिद्ध सिख हकीम की हत्या की जिम्मेदारी भी ली थी। वह यहां यूनानी चिकित्सा पद्धति से लोगों का इलाज किया करते थे। अक्टूबर और नवंबर के महीनों में प्रांत के विभिन्न हिस्सों में कम से कम तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। इस्लाम खबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की बढ़ती स्थिति ने पाकिस्तानी सेना को भी चिंतित कर दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.