तालिबान ने अमेरिका से कहा उनके पास नहीं है अमेरिकी नौसेना का ठेकेदार, 3 माह से है गायब
मार्क नौसेना के एक अनुभवी ठेकेदार थे वो जनवरी के अंत में अफगानिस्तान गए थे उसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चल रहा है तब से वो गायब है।
इस्लामाबाद। तालिबान ने लापता अमेरिका नागरिक को अपने हिरासत में होने से इनकार किया है। प्रवक्ता सोहेल शाहीन का कहना है कि अमेरिकी नागरिक मार्क आर.फ्रेरिच उनकी हिरासत में नहीं है। तालिबान ने मार्क का पता लगाने के लिए अपने सभी नेटवर्क में उनकी तलाश की, तालिबान ने अपने यहां हक्कानी नेटवर्क में भी मार्क के बारे में पता किया मगर उनको कोई जानकारी नहीं मिली, इसी के बाद प्रवक्ता की ओर से ये बयान दिया गया कि मार्क उनके पास नहीं है। यदि अमेरिका ऐसा सोच रहा है कि तालिबान ने मार्क को अपने कब्जे में रखा हुआ है तो वो उनको इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।
दरअसल मार्क नौसेना के एक अनुभवी ठेकेदार थे, वो जनवरी के अंत में अफगानिस्तान गए थे, उसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चल रहा है तब से वो गायब है। इसी के बाद से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि तालिबान ने मार्क को अपने कब्जे में रखा हुआ है। अमेरिका तालिबान से मार्क के बारे में जानकारी मांग रहा है वो उनसे मार्क को रिहा करने के लिए भी कह रहा है मगर तालिबान इससे इंकार कर रहा है। तालिबानी नेता कह रहा है कि हमें लापता अमेरिकी के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ वार्ता से परिचित एक दूसरे तालिबान अधिकारी ने औपचारिक रूप से कहा उनके पास मार्क के पास कोई जानकारी नहीं है। वाशिंगटन के शांति दूत ज़ल्माय खलीलज़ाद, जिन्होंने अमेरिका और नाटो देशों को अपने सैनिकों को वापस लेने और दशकों के युद्ध को समाप्त करने की अनुमति देने के लिए फरवरी में हस्ताक्षर किए थे, तालिबान के साथ एक शांति समझौते पर बातचीत की। उन्होंने इस सप्ताह कतर में अपनी बैठकों के दौरान फ्रिच की रिहाई के लिए कहा। कतर में तालिबान का एक राजनीतिक कार्यालय भी है।
इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास द्वारा शनिवार को एक बयान में भी मार्क का पता लगाने के लिए मदद की मांग की गई। खलीलजाद अफगानिस्तान में स्थायी शांति की खोज में भारत जाने से पहले दोहा से इस्लामाबाद पहुंचे थे। उन्होंने अफगानिस्तान में हिंसा को कम करने के लिए तालिबान को सहमत करने के लिए पाकिस्तान की सहायता के लिए सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की। पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ तालिबान के साथ शांति का सौदा करने के लिए काम किया है।