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चीन और पाक को खुश करने में लगा तालिबान, बीजिंग की सीपीइसी परियोजना में हो सकता है शामिल

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि वे सरकार बनाने के बाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीइसी) परियोजना में शामिल होना चाहेंगे। तालिबान प्रवक्ता ने यह भी आश्वस्त किया है कि वे पाकिस्तान स्थित तहरीक ए तालिबान को लेकर इस्लामाबाद की चिंताओं को दूर करेंगे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 06:38 PM (IST)
चीन और पाक को खुश करने में लगा तालिबान, बीजिंग की सीपीइसी परियोजना में हो सकता है शामिल
बीजिंग की सीपीइसी परियोजना में तालिबान हो सकता है शामिल। फाइल फोटो।

इस्लामाबाद, एजेंसी। तालिबान सरकार बनने से पहले ही चीन और पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाता नजर आ रहा है। तालिबान ने अब संकेत दिया है कि उसकी सरकार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना में शामिल हो सकती है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि वे सरकार बनाने के बाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीइसी) परियोजना में शामिल होना चाहेंगे। तालिबान प्रवक्ता ने यह भी आश्वस्त किया है कि वे पाकिस्तान स्थित तहरीक ए तालिबान को लेकर इस्लामाबाद की चिंताओं को दूर करेंगे।

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चीन से पश्चिम एशियाई देशों तक को जोड़ने की योजना

सीपीइसी चीन की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है और बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का ही एक हिस्सा है। इस योजना के तहत पाक स्थित ग्वादर बंदरगाह से चीन के पश्चिमी भाग शिनजियांग को जोड़ने का काम किया जा रहा है। इस परियोजना में रेल, सड़क और तेल पाइप लाइनों के जरिये चीन से पश्चिम एशियाई देशों तक को जोड़ने की योजना है। ज्ञात हो कि अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनाने में पाक खुफिया एजेंसी ने अहम भूमिका निभाई है। पाकिस्तान अब अफगानिस्तान पर तालिबान के माध्यम से पूरा नियंत्रण चाहता है। यही कारण है कि पाक और उसके आका चीन को खुश करने के लिए अब तालिबान ने सीपीइसी योजना से जुड़ने की इच्छा जताई है।

4.6 अरब डालर की है परियोजना, भारत क्यों कर रहा है विरोध

वर्ष 2015 में चीन ने इस परियोजना का एलान किया था। इस परियोजना की लागत करीब 4.6 अरब डालर है। चीन की मंशा प्रोजेक्ट के जरिए दक्षिण एशियाई देशों में भारत और अमेरिका के प्रभाव को सीमित करना है और अपने वर्चस्व को बढ़ाना है। चीन-पाकिस्तान के इकोनामिक कारिडोर का भारत पुरजोर विरोध कर रहा है। दरअसल, यह कारिडोर पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन से होकर गुजरने वाला है। भारत कश्मीर के इन दोनों हिस्सों को अपना बताता है। इसलिए इसको लेकर भारत ने आपत्ति भी जताई है। अगर यह कॉरिडोर बन गया तो पाकिस्तान और चीन को विवादित क्षेत्र से सीधा रास्ता मिल जाएगा।

क्‍या चीन से नियंत्रित होगा तालिबान

इसके पूर्व तालिबान ने चीन को अपना सबसे अहम साझेदार बताते हुए कहा है कि उसे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और तांबे के उसके समृद्ध भंडार का दोहन करने के लिए चीन से उम्मीद है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि समूह चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल का समर्थन करता है, जो बंदरगाहों, रेलवे, सड़कों और औद्योगिक पार्कों के विशाल नेटवर्क के जरिए चीन को अफ्रीका, एशिया और यूरोप से जोड़ेगी। मुजाहिद ने यह भी कहा था कि तालिबान क्षेत्र में रूस को भी एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है और वह रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेगा।


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