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पाक SC ने मिनरल वाटर कंपनियों के CEO को किया तलब, कहा पानी चोरी की इजाजत नहीं देंगे

अदालत देखना चाहेगी कि कंपनियों द्वारा दिया गया पानी मिनरल वाटर है भी या नहीं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 05:08 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 12:16 AM (IST)
पाक SC ने मिनरल वाटर कंपनियों के CEO को किया तलब, कहा पानी चोरी की इजाजत नहीं देंगे
पाक SC ने मिनरल वाटर कंपनियों के CEO को किया तलब, कहा पानी चोरी की इजाजत नहीं देंगे

लाहौर, एजेंसी। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों से मिनरल वाटर कंपनियों से पानी के उपयोग संबंधित डाटा मांगा है। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार  दो सदस्यीय खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के लाहौर रजिस्ट्री मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि, 'अदालत देखना चाहेगी कि कंपनियों द्वारा दिया गया पानी मिनरल वाटर है भी या नहीं।' जस्टिस निसार ने कहा कि पानी बेचने वाली कंपनियों को सरकार के साथ बैठकर इस पर चर्चा करनी चाहिए और पानी बेचने का दाम भी तय करना चाहिए।

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संघीय सरकार के एक वकील ने अदालत को बताया कि मिनरल वाटर कंपनियां सरकार को 25 पैसे प्रतिलीटर का भुगतान करती हैं जबकि इसे 50 रूपये प्रति लीटर बेचती हैं। सरकारी वकील की इस बात पर न्यायमूर्ति ने टिप्पणी की कि वो खुद अपने घर में नल का पानी उबालकर पीते हैं। क्योंकि मेरे देश के लोग यही कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मिनरल वाटर कंपनियों की इसी नीति की वजह से गरीब आदमी तालाब का पानी पीने को मजबूर है।

जस्टिस निसार ने जोर देकर कहा कि अब पानी की कीमत सोने से भी ज्यादा हो गई है। क्योंकि लोगों को मिनरल वाटर पीने की आदत पड़ गई जिससे प्राकृतिक संसाधनों से पानी चोरी किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, 'हम किसी भी शर्त पर पानी के चोरी की इजाजत नहीं देंगे।'

चीफ जस्टिस ने देखा कि पानी बेचकर पैसे कमाने वाली कंपनियां कैसे आगे बढ़ रही हैं जबकि आम लोग पीछे रह जाते हैं। आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। अदालत ने रविवार को 11 बजे नेस्ले, कोका-कोला, पेप्सी और गॉरमेट सहित मिनलर वाटर बेचने वाली सभी कंपनियों को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान ये संकेत भी दिया कि वो पाकिस्तान में बांधों के निर्माण में बाधा डालने वालों पर संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। 


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