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ताजिकिस्तान में 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में जयशंकर और कुरैशी में हो सकती है बातचीत

भारत की तरफ से ना तो जयशंकर की ताजिकिस्तान की यात्रा और न ही कुरैशी के साथ उनकी संभावित बैठक को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ कहा गया है। हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया का नौवां मंत्रीस्तरीय सम्मेलन ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 30 मार्च को होने वाला है।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 10:23 PM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 10:23 PM (IST)
ताजिकिस्तान में 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में जयशंकर और कुरैशी में हो सकती है बातचीत
मीडिया रिपोर्ट में जताई गई दोनों नेताओं की बैठक की संभावना

इस्लामाबाद, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच इस महीने के आखिर में ताजिकिस्तान में बातचीत हो सकती है। ताजिकिस्तान में इस महीने के अंत में 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन का आयोजन हो रहा है, जिसमें जयशंकर के भी शामिल होने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट में दोनों नेताओं की बैठक की संभावना जताई गई है।

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हालांकि, भारत की तरफ से ना तो जयशंकर की ताजिकिस्तान की यात्रा और न ही कुरैशी के साथ उनकी संभावित बैठक को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ कहा गया है। हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया का नौवां मंत्रीस्तरीय सम्मेलन ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 30 मार्च को होने वाला है।

पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सम्मेलन में दोनों नेताओं के शामिल होने की खबर से ही यह अटकलें लगने लगी हैं कि उनकी मुलाकात भी हो सकती है।

30 मार्च को अफगान शांति वार्ता में शामिल होंगे भारतीय विदेश मंत्री

सोमवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अत्मार के बीच लंबी बातचीत का दौर चला। इसमें दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों से लेकर 30 मार्च को अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने को लेकर दुशांबे में होने वाली बैठक के मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

भारत इस बात को लेकर पूरी तरह से अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार के साथ है कि आने वाले दिनों में जो भी हल निकाला जाए, उसमें आतंकी गतिविधियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री सोमवार शाम को ही नई दिल्ली पहुंचे हैं। बैठक के बाद सरकारी सूत्रों ने बताया कि शांति प्रक्रिया पर काफी विस्तार से बात हुई है। रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने को लेकर भी सहमति बनी है। भारत की मदद से अफगानिस्तान में शुरू की गई विकास परियोजनाओं को लेकर बात हुई और साथ ही मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने पर भी विमर्श हुआ।


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