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जरदारी की संपत्तियां जब्त करने की सिफारिश, जेआइटी ने सौंपी पाक सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट

आरोपों का खंडन करते हुए जरदारी और तालपुर ने कहा कि जेआइटी की रिपोर्ट अटकलों पर आधारित है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 10:21 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 12:03 AM (IST)
जरदारी की संपत्तियां जब्त करने की सिफारिश, जेआइटी ने सौंपी पाक सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट
जरदारी की संपत्तियां जब्त करने की सिफारिश, जेआइटी ने सौंपी पाक सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की मुश्किलें और बढ़ती नजर रही हैं। फर्जी बैंक खातों के जरिये 220 अरब रुपये की मनी लांड्रिंग मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने जरदारी तथा अन्य आरोपितों की सभी संपत्तियों को जब्त करने की सिफारिश की है। इनमें आरोपितों की अमेरिका और दुबई में स्थित संपत्तियां भी शामिल हैं।

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जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त जांच दल (जेआइटी) ने शनिवार को पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी। इसमें कराची और लाहौर स्थित मशहूर बिलावल हाउस तथा इस्लामाबाद स्थित जरदारी हाउस को जब्त करने की सिफारिश की गई है।

जेआइटी ने जरदारी की अमेरिका के न्यूयॉर्क और दुबई में स्थित संपत्तियों समेत कराची में बिलावल हाउस के सभी पांच प्लॉटों को जब्त करने का भी अनुरोध किया है। जांच टीम ने जरदारी, उनकी बहन फरयाल तालपुर और जरदारी समूह के स्वामित्व वाली सभी शहरी और कृषि जमीन को जब्त करने की सिफारिश की है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जेआइटी ने सर्वोच्च अदालत से ओमनी ग्रुप की चीनी मिल, कृषि कंपनियां और ऊर्जा कंपनियां समेत सभी संपत्तियों को जब्त करने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया है। जरदारी और ओमनी समूह पर कर्ज और सरकारी कोष में अनियमितता का आरोप लगाते हुए जांच टीम ने कहा कि दोनों समूहों ने 'हुंडी' और 'हवाला' के जरिये देश से बाहर पैसे भेजे। जेआइटी ने कहा है कि संपत्तियां मामले पर निर्णय आने तक जब्त रहें।

टीम ने कहा कि जरदारी ने अपने सिपहसालार इकबाल मेनन के जरिये बेनामी कंपनी बनाई। इसे 1998 में फ्रीज भी कर दिया गया था। जांच के दौरान जरदारी के करीबी हुसैन लवाई को जुलाई 2018 में गिरफ्तार किया गया था। उनके दूसरे करीबी व ओमनी समूह के चेयरमैन अनवर माजिद और उसके बेटे एजी माजिद को उसी साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था।

जांच के अनुसार, वर्ष 2013-15 के बीच एक निजी बैंक में सैकड़ों बेनामी खाते खोले गए और उनमें करोड़ों रुपये हस्तांतरित किए गए। माना जा रहा है कि यह राशि रिश्वत व कमीशन के जरिये अर्जित की गई।

जरदारी व तालपुर ने किया आरोपों का खंडन

आरोपों का खंडन करते हुए जरदारी और तालपुर ने कहा कि जेआइटी की रिपोर्ट अटकलों पर आधारित है। उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का निशाना बनाया जा रहा है। 


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