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एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट से निकलने के लिए छटपटा रहा पाकिस्‍तान, तैयार किए आठ विधेयक

पाकिस्तान ने यदि अक्टूबर तक अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया तो उसके ब्लैक-लिस्ट में जाने का खतरा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 06:04 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 06:04 AM (IST)
एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट से निकलने के लिए छटपटा रहा पाकिस्‍तान, तैयार किए आठ विधेयक
एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट से निकलने के लिए छटपटा रहा पाकिस्‍तान, तैयार किए आठ विधेयक

इस्लामाबाद, पीटीआइ। बदहाल अर्थव्यवस्था से परेशान हो चुका पाकिस्तान अब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे-लिस्ट से निकलकर व्हाइट-लिस्ट में आने के लिए छटपटा रहा है क्योंकि अक्टूबर तक अगर उसने फोर्स के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया तो उसके ब्लैक-लिस्ट में जाने का खतरा है। इसके लिए एंटी मनी लांड्रिंग और आंतकी फंडिंग पर इमरान सरकार ने एफएटीएफ विशेषज्ञों की मदद से आठ विधेयक तैयार किए हैं। इन पर चर्चा के लिए सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों की संयुक्त बैठक भी बुलाई गई है।

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ग्रे लिस्‍ट में है पाक

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जून में वर्चुअली आयोजित तीसरी और आखिरी प्लेनरी में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया था क्योंकि वह लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की आतंकी फंडिंग पर रोक लगा पाने में विफल रहा था। यह प्लेनरी चीनी शियांगमिन लियू की अध्यक्षता में हुई थी। हालांकि पाकिस्तान ने तब ऐसे किसी फैसले से इन्कार किया था।

भारत पर मढ़ा दोष

शनिवार को अपने गृहनगर मुल्तान में मीडिया से बातचीत में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि सरकार पेरिस स्थित एंटी मनी लांड्रिंग ग्रुप की कुछ मांगों को पूरा करने के लिए विधेयक ला रही है। उन्होंने दावा किया, 'भारत पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक-लिस्ट में धकेलने के लिए प्रयास करता रहा है। आप मुझसे बेहतर जानते हो कि अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर होगा।' उन्होंने कहा कि ग्रे-लिस्ट से पाकिस्तान को हटाने के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है।

वित्तीय मदद मिलने में होगी मुश्किल

बता दें कि यदि पाकिस्तान ग्रे-लिस्ट में बना रहा तो उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय यूनियन से वित्तीय मदद पाना मुश्किल हो जाएगा और उसकी आर्थिक मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। पेरिस स्थित एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून, 2018 में ग्रे-लिस्ट में डाला था और कार्ययोजना पर अमल के लिए उसे 2019 के आखिर तक का वक्त दिया था। लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी। 


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