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पाकिस्‍तान में आइएसआइ मुखिया की नियुक्ति पर बढ़ा सियासी बवाल, बैकफुट पर इमरान सरकार, कहा- नहीं करेंगे सेना की तौहीन

पाकिस्‍तान में प्रधानमंत्री इमरान के राजनीतिक मामलों के विशेष सहायक के एक बयान को लेकर और विवाद शुरू हो गया है। एक टीवी शो में इमरान के विशेष सहायक ने दावा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रबर स्टांप प्रधानमंत्री नहीं हैं....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 08:00 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 09:33 PM (IST)
पाकिस्‍तान में आइएसआइ मुखिया की नियुक्ति पर बढ़ा सियासी बवाल, बैकफुट पर इमरान सरकार, कहा- नहीं करेंगे सेना की तौहीन
आइएसआइ प्रमुख की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी आइएसआइ प्रमुख की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। इस बीच प्रधानमंत्री के राजनीतिक मामलों के विशेष सहायक के बयान को लेकर और विवाद शुरू हो गया है। एक टीवी शो में इमरान के विशेष सहायक ने दावा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रबर स्टांप प्रधानमंत्री नहीं हैं और कानून के मुताबिक ही फैसला लेंगे। उनके इस बयान के कुछ देर बाद ही सत्तारूढ़ पार्टी तहरीक-ए-इन्साफ (पीटीआइ)ने उनसे अपना मुंह बंद रखने को कहा और उनसे उनके राजनीतिक बयानबाजी के लिए स्पष्टीकरण मांगा।

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पार्टी ने कहा- बड़बोलेपन के चलते गया गलत संदेश

पार्टी ने कहा कि उनकी टिप्पणियों से गलत राजनीतिक संदेश गया लेकिन पार्टी के समर्थक इस बयान से काफी खुश हैं। इन समर्थकों का दावा है कि जनरल कमर जावेद बाजवा की ताकतवर फौजी व्यवस्था पर यह बयान इमरान के आवाम सरकार की जीत है।

सरकार ने कहा- नहीं करेंगे सेना की तौहीन

इधर पाकिस्तानी सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने साफ किया कि इमरान खान कभी भी पाकिस्तानी सेना और उसके मुखिया की तौहीन नहीं करेंगे। देश के अग्रणी अखबार डान में पत्रकार फहद हुसैन लिखते हैं कि पाकिस्तान जैसे देश में पाकिस्तानी फौज ही असली 'बॉस' है और कोई भी सरकार उसे दरकिनार नहीं कर सकती।

सेना और सरकार के बीच टकराव जारी

आइएसआइ मुखिया की नियुक्ति को लेकर सेना और सरकार के बीच जो टकराव चल रहा है वह अभी तक दूर नहीं हुआ है। फिलहाल दुविधा की स्थिति है। सूत्रों का दावा है कि इस मुद्दे पर सेना चुप्पी साधे हुए है लेकिन गुरुवार रात एक बैठक में बाजवा ने इमरान से दो टूक कह दिया है कि उन्हें अपनी सीमा नहीं लांघनी चाहिए और सेना से जुड़े मसलों पर दखल नहीं देना चाहिए।

बाजवा को फैज हमीद मंजूर नहीं

बहरहाल इमरान के निर्देश पर इस पद पर नियुक्ति के लिए उन्हें तीन नामों की सूची दी गई है। उनमें एक नाम ले.जनरल नदीम अहमद अंजुम का भी है जिनका नाम सेना भी प्रस्तावित कर चुकी है। पत्रकार नजम सेठी कहते हैं कि अंजुम वरिष्ठ अधिकारी हैं, लेकिन इमरान ने उनके नाम को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। वह चाहते हैं कि ले. जनरल फैज हमीद मार्च तक इस पद पर बने रहें, जो बाजवा के लिए स्वीकार नहीं है। प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर किसी की नहीं सुन रहे हैं।

इमरान के रुख से विशेषज्ञ भी हैरान

पाकिस्तानी विशेषज्ञ और मीडिया इस बात से अचंभित हैं कि जिन इमरान को बाजवा ने प्रधानमंत्री 'चुना', वह उनकी बात भी नहीं सुन रहे हैं और सार्वजनिकरूप से बाजवा का अपमान और उन्हें चुनौती दे रहे हैं।

अल्लाह और सेना चला रही पाकिस्तान

कहा यह भी जा रहा है कि इमरान अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव करवाना चाहते हैं, इसीलिए वह चाहते हैं कि फैज हमीद तब तक इस पद पर बने रहें। तो क्या अगला चुनाव बाजवा बनाम इमरान के बीच होगा, यह देखनेवाली बात होगी। हाल में इमरान ने देश को पश्चिमी संस्कृति से बचाने के लिए धार्मिक गुरुओं और मुल्लाओं की एक परिषद के गठन की घोषणा की है। विश्लेषक कहते हैं कि पाकिस्तान को बस अल्लाह और सेना ही चला रही है और इमरान अल्लाह को अपनी तरफ करने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। 


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