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शांति बहाली के लिए अफगानिस्‍तान का चीन और पाकिस्‍तान से बेहतर संबंध होना जरूरी- कुरैशी

पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफगानिस्‍तान की शां‍ति के लिए जरूरी है कि उसके चीन और पाकिस्‍तान से संबंध बेहतर हों। हालांकि उन्‍होंने अमेरिकी फौज की वापसी के देश की सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती बताया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 11:09 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 11:09 AM (IST)
शांति बहाली के लिए अफगानिस्‍तान का चीन और पाकिस्‍तान से बेहतर संबंध होना जरूरी- कुरैशी
पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी

इस्‍लामाबाद (एएफपी)। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अफगानिस्‍तान की शांति के लिए पाकिस्‍तान और चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती और अफगानिस्‍तान में स्थिरता को जरूरी बताया है। हालांकि अपने इस बयान में उन्‍होंने भारत का कोई जिक्र नहीं किया है। उन्‍होंने अपने बयान में कहा है कि हम तीनों को मिलकर ये देखना होगा कि हम इन हालातों में साथ मिलकर कैसे इस काम को अंजाम दे सकते हैं और अपने साझा लक्ष्‍यों को कैसे साध सकते हैं। अफगानिस्‍तान में शांति बहाली के लिए उन्‍होने वहां पर राजनीतिक स्थिरता को भी जरूरी बताया है। ये बयान उन्‍होंने चीन-अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रियों चौथे संवाद कार्यक्रम के दौरान दिया है।

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अपने इस बयान के बाद उन्‍होंने इस बैठक को लेकर एक ट्वीट भी किया है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्‍तान हमेशा से ही चीन और अफगानिस्‍तान के साथ मजबूत संबंधों का हिमायती रहा है। इसके अलावा द्विपक्षीय संबंध और यहां की शांति बहाली के इस पूरे क्षेत्र के लिए खासी मायने रखती है। इस बैठक का यही मकसद भी है। कुरैशी ने इस ट्वीट में लिखा है कि हम तीनों देशों के आर्थिक विकास के लिए शांति, समृद्धि और सहयोग में विश्‍वास रखते हैं।

कुरैशी ने इस दौरान अफगानिस्‍तान की सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उनका कहना था कि अमेरिकी फौज की वापसी के बाद ये खतरा बढ़ सकता है। आपको बता दें कि अमेरिका अफगानिस्‍तान से अब तक अपनी करीब 44 फीसद फौज को वापस ले जा चुका है। राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने अपनी पूरी फौज को यहां से हटाने के लिए 11 सितंबर तक का समय चुना है। हालांकि बाइडन का कहना है कि 9/11 से पहले ही वो अपनी पूरी फौज को वापस ले जाएगा।

कुरैशी का कहना है कि अफगानिस्‍तान की सेना के पास रणनीति, गोलाबारूद की भारी कमी है। इसलिए अफगानिस्‍तान को सुरक्षित करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अमेरिका की वापसी की घोषणा के बाद से तालिबान लगाताार अफगानिस्‍तान के इलाकों को अपने हाथों में ले रहा है। कई जिले उसने अपने कब्‍जे में कर लिए हैं। इसके अलावा अफगानिस्‍तान के कई मिलिट्री बेस पर भी तालिबान का कब्‍जा है।

कुरैशी ने ये भी कहा है कि चुनौती बनी अफगानिस्‍तान की सुरक्षा के बीच शांति की कोशिशों को तेज करने की जरूरत है। पाकिस्‍तान इस संबंध में दोनों ही तरफ से अपने पूरे प्रयास कर रहा है कि कोई राजनीतिक समाधान निकाला जा सके। लेकिन अब तक न तालिबान और न ही अफगान सरकार किसी तरह के नतीजे पर पहुंची है। उनके मुताबिक अमेरिकी फौज की वापसी के बाद इस बात की काफी आशंका है कि यहां पर आंतरिक समस्‍याएं बढ़ जाएं जो यहां की शांति और स्थिरता के लिए खतरा बन जाएंगी।

गौरतलब है कि तीनों देशों का ये संगठन चार वर्ष पूर्व बना था। इसका मकसद अफगानिस्‍तान और इस पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के प्रयास करना था। इसके अलावा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग करना, आपसी सहयोग को बढ़ाना और आर्थिक विकास के लिए अपने विचारों का आदान-प्रदान करना भी इसका एक मकसद था। कुरैशी के अलावा इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री मुहम्‍मद हनीफ अतमर ने भी हिस्‍सा लिया था।


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