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पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति पर वित्तमंत्री का बयान, खतरे में पाक का भविष्य

Pulwama Terror Attack के बाद पाक ने कई बार भारत से मुकालबा करने का दंभ भरा था। पाक वित्तमंत्री का बयान बताता है कि उस वक्त पड़ोसी मुल्क क्यों शांतिवार्ता के लिए परेशान था।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 02:24 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 10:51 AM (IST)
पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति पर वित्तमंत्री का बयान, खतरे में पाक का भविष्य
पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति पर वित्तमंत्री का बयान, खतरे में पाक का भविष्य

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पहले ही दुनिया से छिपी नहीं है। लंबे समय से भीषण महंगाई की मार झेल रहा पाकिस्तान, अब दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। ये सनसनीखेज खुलासा खुद पाकिस्तान के वित्तमंत्री असद उमर ने मीडिया में दिए अपने एक बयान के जरिए किया है। उनका बयान पाकिस्तान के भविष्य के लिए भी चिंताजनक है।

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भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में बनी तनाव की स्थिति में पाक ने हमेशा भारत का मुकाबला करने का दंभ भरा। इसके विपरीत उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि युद्ध करना तो दूर, उसके लिए देश चलाना ही मुश्किल हो चुका है। पाक वित्तमंत्री के बयान से पता चलता है कि पाकिस्तान का अगले कुछ सालों में इस स्थिति से उबर पाना बहुत मुश्किल है। पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद पाक समर्थित आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की कूटनीति ने उसे और मुश्किल में डाल दिया है। यही वजह है कि हाल के तनाव के दौर में पाकिस्तान, भारत संग शांतिवार्ता का राग अलापने लगा था।

जियो टीवी के अनुसार, पाक वित्तमंत्री असद उमर ने कहा है कि पाकिस्तान का मूल्य ऋण इतनी खतरनाक ऊंचाई पर चला गया है कि मुल्क कभी भी दिवालिया हो सकता है। पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है। पाकिस्तानी वित्तमंत्री ने बुधवार को सोशल मीडिया के साथ देश की अर्थव्यवस्था के संबंध में सवाल-जवाब के विशेष सत्र में यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम भारी कर्ज के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जा रहे हैं। हमें अर्थव्यवस्था और कर्ज के भारी अंतर को कम करना होगा।

पाक वित्तमंत्री के अनुसार, अगर हम पीएमएलएन समय के नंबर को देखें तो उस वक्त महंगाई दहाई अंक में थी। राहत की बात है कि महंगाई अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची है। पूर्व की भांति महंगाई ने अभी दहाई का आंकड़ा नहीं छुआ है। पहले महंगाई ने समाज के हर तबके को परेशान किया था। पहले महंगाई ने गरीबों को ज्यादा प्रभावित किया था। मौजूदा सरकार में महंगाई की स्थिति थोड़ी भिन्न है। अभी गरीबों की तुलना में अमीरों पर महंगाई का असर काफी ज्यादा है। गरीब तबके पर महंगाई की उतनी मार नहीं पड़ी है।

असद उमर ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है। इस वजह से देश में रोजगार की दर भी घटी है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है। इस दौरान पाकिस्तानी वित्तमंत्री ने मीडिया से कहा ‘आप कह रहे हैं कि मेरी सारी नीतियां पूर्व वित्तमंत्री इशाक डार की तरह हैं। वहीं इशाक डार का कहना है कि मैंने अर्थव्यवस्था चौपट कर दी है। वास्तविकता ये है कि उनके कार्यकाल में पाकिस्तान में पहली बार निर्यात नहीं बढ़ा। पहले की आर्थिक नीतियों की वजह से ही डॉलर लगातार मजबूत होता गया। इस वजह से पाकिस्तान को काफी नुकसान झेलना पड़ा।’

एडीबी ने दिखाया पाकिस्तान को आईना
पाकिस्तान की खस्ताहालत को लेकर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी आईना दिखाया है। एडीबी ने पाकिस्तान की व्यापक आर्थिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए बताया है कि बीते वित्त वर्ष में पाकिस्तान की वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत थी जो चालू वित्त वर्ष 2019-20 में गिरकर 3.9 फीसद ही रहने का अनुमान है। ये इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान की आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है।

पांच वर्ष के उच्चतम स्तर पर महंगाई
पाकिस्तान में मार्च-2019 के दौरान महंगाई दर पांच वर्ष के उच्चतम स्तर पर रही है। पाकिस्तान में महंगाई दर 9.41 फीसद तक पहुंच चुकी है, जो नवंबर-2013 के बाद से सबसे अधिक है। अप्रैल-2019 में महंगाई दर ने 1.42 फीसद की और छलांग लगाई है। पाकिस्तान के सांख्यिकी ब्यूरो ने सोमवार को बयान जारी कर बताया था कि महंगाई दर बढ़ने से गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या 40 लाख और बढ़ गई है। ये भी आशंका जताई है कि महंगाई और बदहाल अर्थव्यवस्था की वजह से इस वर्ष 10 लाख और लोगों की नौकरियां छिन सकती हैं। सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, आर्थिक विकास की गति तीन फीसद नीचे रहने से पाकिस्तान मुद्रास्फीति जनित मंदी के जाल में फंस चुका है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और आर्थिक विकास धीमा पड़ रहा है।

ब्याज दरों में 50 फीसद का इजाफा
पाकिस्तान में खाने-पीने के सामान की कीमतों में वृद्धि के साथ ईंधन और परिवहन लागत में हुआ इजाफा पाकिस्तानी नागरिकों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। महंगाई को काबू में करने के लिए पाकिस्तानी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 50 फीसद का इजाफा करते हुए इसे 10.75 फीसद कर दिया है, जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियां और प्रभावित हुई है। पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्थिर होते आर्थिक हालत की वजह से कुछ कंपनियों ने अपना कारोबार समेटने का भी फैसला ले लिया है। वहीं, आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान को बढ़ते राजकोषीय घाटे और चालू खाता घाटे का भी सामना करना पड़ रहा है।

रुपये की खस्ता हालत, 100 रुपये बिक रहा पेट्रोल
पाकिस्तान में रुपये की कमजोर हालत की वजह से ईंधन की कीमतों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रविवार की वृद्धि के बाद पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत करीब 100 रुपये हो चुकी है। गौरतलब है कि पिछले एक साल में पाकिस्तानी करेंसी रुपये में करीब 25 फीसद से अधिक की गिरावट आई है। बुधवार की कीमत के मुताबिक एक डॉलर की कीमत करीब 141 रुपये है।

बेल आउट पैकेज की कोशिश में पाक
अर्थव्यवस्था को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए पाकिस्तानी सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेल आउट की मांग कर रही है। अगर आईएमएफ से पाकिस्तान को राहत मिलती है, तो 1980 के बाद से यह तेरहवां बेल आउट पैकेज होगा। गौरतलब है कि इमरान खान सऊदी अरब, यूएई और चीन से 8 अरब डॉलर का कर्ज लेने में सफल रहे हैं। इसके अलावा रियाद और यूएई के 3-3 अरब डॉलर के कर्ज के भुगतान में भी उन्हें राहत मिली है।

पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी डर
आतंकवाद के मामले में वैश्विक स्तर पर घिरे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी डर सता रहा है। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि भारत की पैरवी के चलते फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) उनके मुल्क को काली सूची में डाल सकता है। भारत इसके लिए लॉबिंग कर रहा है। पाकिस्तान को अगर ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची में भी कायम रखा जाता है तो देश को सालाना दस अरब डॉलर (करीब 69 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में है। मालूम हो कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इस हमले की पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने जिम्मेदारी ली थी।


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