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पाकिस्तानी जेल से आतंकी उमर शेख होगा रिहा, पत्रकार डेनियल पर्ल मर्डर व कंधार कांड से जुड़ा है नाम

सिंध हाई कोर्ट ने गुरुवार को अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के मामले में आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख फहद नसीम शेख आदिल और सलमान साकिब को रिहा करने का निर्देश दिया है। उमर सईद का नाम कंधार कांड से जुड़ा है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 03:29 PM (IST)
पाकिस्तानी जेल से आतंकी उमर शेख होगा रिहा, पत्रकार डेनियल पर्ल मर्डर व कंधार कांड से जुड़ा है नाम
अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल और आतंकी उमर सईद शेख।

इस्लामाबाद, एएनआइ। सिंध हाई कोर्ट ने गुरुवार को अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के मामले में आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख, फहद नसीम, शेख आदिल और सलमान साकिब को रिहा करने का निर्देश दिया। डेली पाकिस्तान के अनुसार, सिंध हाईकोर्ट ने आरोपी अहमद उमर सईद शेख और अन्य के नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ECL) में डालने का भी आदेश दिया। आरोपी पिछले 18 साल से जेल में हैं।

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इससे पहले सहायक अटॉर्नी जनरल ने अदालत को सूचित किया कि सरकार के पास आरोपियों को हिरासत में रखने का अधिकार है। प्रांतीय गृह विभाग ने 28 सितंबर को आतंकवाद-रोधी अधिनियम (एटीए) के तहत आरोपियों को पकड़ा था। इस साल अप्रैल में, 18 साल की सजा के बाद हाई कोर्ट ने अपील पर सुनवाई की और शेख, साकिब और नसीम को बरी कर दिया था। उमर सईद शेख उन तीन आतंकवादियों में से एक है, जिसे भारत ने साल 1999 में कंधार में एयर इंडिया के विमान IC814 को छोड़ने के बदले में रिहा किया था। रिहा किए गए दो अन्य आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर थे।

अपील पर सुनवाई के बाद, शेख की मौत की सजा को बदलकर सात साल कर दिया गया और उस पर 20 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना लगाया गया। शेख पहले ही मौत की सजा पर 18 साल जेल में बिता चुका है, और  उसकी सात साल की सजा पूरी हो गई है। पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट ने बताया कि तीनों को आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धारा 11 के तहत हिरासत में लिया गया था। 2002 में, द वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशिया ब्यूरो के 38 वर्षीय पत्रकार पर्ल का पाकिस्तान में अपहरण करके आतंकियों ने सिर कलम कर दिया था। वह आइएसआइ और आतंकी संगठन अलकायदा के बीच संबंधों को लेकर एक खोजी खबर के सिलसिले में पाकिस्तान गए थे। मामले में पाकिस्तानी अदालत के फैसले पर अमेरिका पहले ही चिंता व्यक्त कर चुका है।


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