पाकिस्तानी सेना ने दी चेतावनी, आजादी मार्च में शामिल लोगों ने फैलाई अस्थिरता तो होगी सख्त कार्रवाई
मौलाना फजर्लुरहमान की आजादी मार्च में शामिल लोगों से सेना ने अपील की है कि वो किसी तरह की अस्थिरता न फैलाएं वरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। पाकिस्तानी सेना ने शनिवार को चेतावनी दी कि जो लोग आजादी मार्च में शामिल हैं उनको किसी तरह की अस्थिरता नहीं फैलाने दी जाएगी। यदि कोई ऐसा करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मार्च में लाखों की संख्या में लोग शामिल हैं और अब वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
सेना के अधिकारियों का कहना है कि मौलाना फजर्लुरहमान ने शुक्रवार को ही एक सभा के दौरान ये ऐलान कर दिया था कि इमरान खान को दो दिन में इस्तीफा दे देना चाहिए, इससे कम में वो लोग समझौता करने को तैयार नहीं है। उनकी इस मांग में कई दूसरे दल भी उनके साथ हैं। दूसरी ओर सेना इस मार्च में किसी भी तरह की अस्थिरता को लेकर गंभीर है, उनका कहना है कि यदि धरने में शामिल लोगों ने किसी तरह की अराजकता फैलाने की कोशिश की तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अराजकता और अस्थिरता फैलाने की किसी को भी परमीशन नहीं है। मौलाना की मांग है कि इमरान खान दो दिनों में इस्तीफा दे दें।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आरिफ गफूर ने कहा कि मौलाना फजलुर रहमान एक वरिष्ठ राजनेता हैं। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस संस्था के बारे में बात कर रहे हैं। पाकिस्तान की सशस्त्र सेना एक निष्पक्ष संस्था है जो हमेशा लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों का समर्थन करती है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी को भी अस्थिरता पैदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि देश अराजकता बर्दाश्त नहीं कर सकता है। गफूर ने कहा कि सेना तटस्थ थी और संविधान के अनुसार लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों का समर्थन करती थी। उन्होंने 2018 के आम चुनावों के दौरान सेना की तैनाती का बचाव करते हुए कहा कि इससे चुनावों में संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी होती है।
गफूर ने कहा कि लोकतंत्र में मुद्दों को लोकतांत्रिक तरीके से हल किया जाना चाहिए और प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच संपर्क की सराहना की जानी चाहिए। गफूर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए रहमान ने विपक्षी नेताओं के साथ बैठक के बाद मीडिया से कहा कि सैन्य प्रवक्ता को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए जो सेना की तटस्थता का उल्लंघन करते हैं। यह बयान कुछ राजनेताओं से आना चाहिए था, न कि सेना से।
रहमान की जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) के नेतृत्व में बहुप्रतीक्षित आजादी मार्च गुरुवार को इस्लामाबाद पहुंच गया। पाकिस्तान मुस्लिम नेता-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के नेताओं ने प्रधानमंत्री खान के नेतृत्व में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार से निपटने के लिए आयोजित मार्च में भाग लिया । प्रधानमंत्री खान ने शुक्रवार को गिलगित-बाल्टिस्तान में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए इस्लामाबाद में प्रदर्शनकारियों से कहा कि जब वे बाहर निकलेंगे तो उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, लेकिन उनके नेताओं को किसी राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वे दिन आ गए हैं जब कोई सत्ता हासिल करने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करता था। यह एक नया पाकिस्तान है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) अक्टूबर 2007 में जारी किया गया अध्यादेश था, जिसमें भ्रष्टाचार, गबन, धन शोधन, हत्या और आतंकवाद के आरोपी नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों को क्षमादान दिया गया था। खान ने कहा कि वे कौन हैं जो आजादी हासिल करना चाहते हैं? मैं चाहता हूं कि मीडिया वहां जाए और अपने चाहने वाले लोगों से पूछें। खान ने कहा कि उनके सभी विरोधी उनके विचारों और उद्देश्यों में निराश हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विरोध रैली ने पाकिस्तान के दुश्मन को खुश कर दिया। पूर्व प्रधान नवाज शरीफ, उनके भाई शहबाज, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने स्पष्ट रूप से कहा कि मैं उन सभी को जेल में डालूंगा।