ग्रे लिस्ट में रखे जाने के FATF के फैसले को बेशर्म पाक ने बताई अपनी डिप्लोमेटिक जीत, कही यह बात
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ओर खुद को ग्रे लिस्ट में रखे जाने को बेशर्म पाकिस्तान ने अपनी डिप्लोमेटिक जीत बताया है। पाकिस्तान यह भूल गया है कि ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा जाना भी उसकी आर्थिक सेहत के लिए कम घातक नहीं होगा।
इस्लामाबाद, एजेंसियां। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ओर खुद को ग्रे लिस्ट में रखे जाने को बेशर्म पाकिस्तान ने अपनी डिप्लोमेटिक जीत बताया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, आतंकी फंडिंग के मामले में एफएटीएफ (Financial Action Task Force, FATF) के फैसले पर शनिवार को प्रतिक्रिया देते हुए पाक के उद्योग एवं उत्पादन मंत्री हम्माद अजहर (Hammad Azhar) ने कहा कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किए जाने का खतरा अब टल गया है। FATF की ओर से शुक्रवार को बगैर मतदान के दिया गया फैसला हमारी डिप्लोमेटिक जीत है।
अपनी आवाम से झूठ बोलने वाले पाकिस्तान के बारे में बता दें कि शुक्रवार को जब वह निगरानी सूची से खुद को बाहर करने के लिए पैरवी कर रहा था तो केवल तुर्की ने ही उसका साथ दिया था। तुर्की ने पाकिस्तान की वकालत करते हुए कहा था कि अब तक हुई कार्रवाई में पाक ने बेहतर काम किया है। अभी जिन छह बिंदुओं पर काम बाकी है उस पर इंतजार करने के बजाय सदस्यों को मौके पर जाकर उसके काम का जायजा लेना चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि तुर्की के इस प्रस्ताव पर किसी भी सदस्य ने अनुमोदन तक नहीं किया था।
यहां तक कि पाकिस्तान के सदाबहार सहयोगी देश सउदी अरब, चीन और मलेशिया भी मौके पर जायजा लेने के मसले पर चुप्पी साधे रहे। असल में पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा तो करता है लेकिन जमीन पर कुछ भी ठोस नहीं करना चाहता। उसकी पोल खोलते हुए एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान को जो वक्त दिया गया था वह समाप्त हो चुका है। हम पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हैं कि वह फरवरी-2021 तक शेष बचे कार्यों को गंभीरता से पूरा करे।
पाकिस्तानी मंत्री हम्माद अजहर को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने अपने संबोधन में यह भी कहा था कि निगरानी सूची से बाहर आने के लिए पाकिस्तान को अभी काफी कुछ करना बाकी है। एक बार पाकिस्तान की तरफ से सभी 27 कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा तो एफएटीएफ की टीम वहां का दौरा करेगी और उसकी हकीकत की छानबीन करेगी। उसके बाद ही उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने पर फैसला होगा। साफ है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को बताना होगा कि उसने दाऊद, लखवी, अजहर जैसे आतंकियों के ढांचे को तबाह किया है।
आतंकवादियों को पालने पोषने वाला पाकिस्तान शायद यह बात भूल गया है कि एफएटीएफ की ओर से निगरानी सूची यानी ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा जाना भी उसकी आर्थिक सेहत के लिए कम नुकसान दायक नहीं होगा। ग्रे लिस्ट में बरकरार रखे जाने से पाकिस्तान को आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, यूरोपीय यूनियन जैसे अंतरराष्ट्री वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद लेने में मुश्किलें पेश आएंगी। पाकिस्तान के उद्योग एवं उत्पादन मंत्री हम्माद अजहर को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि एफएटीएफ की कार्रवाई उनके मुल्क की आर्थिक बदहाली के लिए आग में घी का काम करेगी...