गुलाम कश्मीर के गिलगिट-बल्टीस्तान को संवैधानिक दर्जा देने की तैयारी में पाकिस्तान
पाकिस्तान सरकार को इसे राज्य का दर्जा देने के लिए संविधान में संशोधन की भी जरूरत पड़ेगी।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में गिलगिट-बल्टीस्तानक्षेत्र के निवासियों को संवैधानिक दर्जा देने के लिए पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब नासिर की अध्यक्षता में सात जजों की पीठ ने 'गिलगिट-बल्टीस्तान आदेश, 2018' और 'गिलगिट-बल्टीस्तान सशक्तिकरण और स्वशासन आदेश, 2009' को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित कर लिया है। इसके साथ ही इन इलाकों के नागरिकों को भी अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि चुनने का अधिकार मिलेगा।
पाकिस्तानी अखबार ने दावा किया है कि 'गिलगिट-बल्टीस्तान आदेश, 2018' के खिलाफ वहां के निवासियों ने प्रदर्शन किया था। उनकी मांग थी कि इस इलाके का प्रशासन राष्ट्रपति के आदेशों से चलाने के बजाय इसे पाकिस्तान का हिस्सा घोषित किया जाए।
गिलगिट-बल्टीस्तान को पांचवां प्रांत घोषित करना चाहता है पाकिस्तान
पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर को प्रशासनिक आधार पर दो हिस्सों में बांटा है। इसमें गिलगिट-बल्टीस्तान एक अलग भौगोलिक सत्ता के तौर पर रखा है। पाकिस्तान में फिलहाल चार राज्य बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूख्वां, पंजाब और सिंध हैं। जबकि गुलाम कश्मीर के दूसरे हिस्से को पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) करार दिया है।
भारत ने इसे पूरी तरह से अस्वीकार किया है। भारत नहीं चाहता कि पाकिस्तान कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में गिलगिट-बल्टीस्तान को अपना पांचवां प्रांत घोषित करे। भारत ने चीन-पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे के खिलाफ भी चीन से आपत्ति दर्ज की है। चूंकि इस गलियारे में गिलगिट-बल्टीस्तान आते हैं।
हालांकि पाकिस्तान सरकार को इसे राज्य का दर्जा देने के लिए संविधान में संशोधन की भी जरूरत पड़ेगी। जिसे दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा। हालांकि इसमें काफी वक्त लग सकता है। इसलिए पाकिस्तान सरकार ने फैसला किया है कि गिलगिट-बल्टीस्तान के लोगों को प्रांत के निवासियों का अधिकार देकर एक अंतरिम कदम उठाया जा सकता है।
हालांकि अटर्नी जनरल अनवर मंसूर ने अदालत को बताया है कि कैबिनेट ने प्रस्तावित मसौदे पर आपत्तियां उठाई हैं। इसलिए अब यह सिर्फ एक मसौदा है। पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही सुधार कमेटी को मानवाधिकारों और न्यायिक स्वायत्तता से संबंधित अतिरिक्त ब्योरा सौंपने का निर्देश दिया है।