आइएसआइ के नए प्रमुख की नियुक्ति में कहां फंस रहा पेंच, इमरान खान ने खोला राज, जानें क्या कहा
पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी आइएसआइ के नए प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पेंच कहां फंसा हुआ है इस बारे में इमरान खान ने खुद स्पष्टीकरण दिया है। इमरान ने नियुक्ति के संबंध में मतभेदों को तकनीकी मुद्दों के रूप में वर्णित किया है।
इस्लामाबाद, एएनआइ/पीटीआइ। पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी आइएसआइ के नए प्रमुख की नियुक्ति का मसला सुलझ नहीं पा रहा है। इस नियुक्ति को लेकर इमरान खान और सेना प्रमुख बाजवा में कथित तौर पर मतभेद की रिपोर्टें भी सामने आ चुकी हैं। आखिरकार नियुक्ति को लेकर पेंच कहां फंसा हुआ है इस बारे में इमरान खान ने बयान दिया है। इमरान खान ने इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) के महानिदेशक की नियुक्ति के संबंध में राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच 'मतभेदों' को 'तकनीकी मुद्दों' के रूप में वर्णित किया है।
हालांकि इमरान ने उन 'तकनीकी मुद्दों' को जाहिर नहीं किया जिनके चलते आइएसआइ के महानिदेशक की नियुक्ति पर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने जियो न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इमरान खान ने पार्टी की संसदीय समिति की बैठक के दौरान कहा कि मुद्दों को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। यही नहीं इस बैठक में इमरान ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर पार्टी नेताओं को विश्वास में लिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा के साथ मतभेदों के बीच इमरान खान को देश के सबसे शक्तिशाली पदों में से एक के लिए उम्मीदवारों के नामों की सूची मिली है। गौर करने वाली बात है कि इसके बावजूद आइएसआइ के महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इमरान सरकार का कहना है कि नियुक्ति पर प्रधानमंत्री इमरान खान और सैन्य नेतृत्व जनरल बाजवा के बीच विमर्श पूरा हो चुका है। नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। सरकार का यह भी कहना है कि देश की स्थिरता, अखंडता और प्रगति के लिए सभी संस्थान एकजुट हैं।
मालूम हो कि पाकिस्तान में कानून सेना प्रमुख से विमर्श के बाद आइएसआइ प्रमुख की नियुक्ति का कानूनी अधिकार प्रधानमंत्री को होता है। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को खुफिया एजेंसी का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने अंजुम की नियुक्ति की अधिसूचना जारी नहीं की। इसी घटनाक्रम के बाद सरकार और सेना के बीच इस नियुक्ति को लेकर मतभेद होने की बात कही जा रही है। वहीं सरकार बार-बार यह सफाई दे रही है कि नियुक्ति पर उसका इस मसले पर सेना से कोई मतभेद नहीं है।