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अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान में तैयार कर रहा जिहादियों की नई पौध

तरह पाकिस्तान अफगानिस्तान मसले पर हमेशा ही डबल गेम करेगा और अपना अहमियत बनाए रखेगा। पाकिस्तान का आतंकी संगठनों का इस्तेमाल उसकी राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है। इसी नीति से वह अफगानिस्तान और जम्मू-कश्मीर में कार्य कर रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 10:01 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jul 2021 04:28 AM (IST)
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान में तैयार कर रहा जिहादियों की नई पौध
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद के हालात पर इजरायली अखबार ने किया आगाह

इस्लामाबाद, एएनआइ। ऐसे में जबकि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो रही है तब पाकिस्तान ने वहां पर खतरनाक खेल तेज कर दिया है। गृह युद्ध से जर्जर इस देश में पाकिस्तान अब जिहादियों की नई पौध तैयार करने के काम में जुट गया है।

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पाकिस्तान आतंकियों को प्रशिक्षण, हथियार, धन और खुफिया सूचनाएं मुहैया करा रहा

यह बात इजरायल के अखबार यरुशलम पोस्ट ने अपने संपादकीय में लिखी है। लिखा है कि पाकिस्तान पिछले कई दशकों से आतंकियों को प्रशिक्षण, हथियार, धन और खुफिया सूचनाएं मुहैया करा रहा है। ऐसा वह परंपरागत युद्ध में हारने के बाद कर रहा है।

आइएसआइ आतंकियों को जरूरत का सामान मुहैया कराती है

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकियों को हर जरूरत का सामान मुहैया कराती है। जिन आतंकी-अतिवादी संगठनों को प्रशिक्षण, हथियार, धन और खुफिया सूचनाएं मुहैया कराई जा रही हैं, उनमें तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हैं।

मुंबई आतंकी हमले और पुलवामा हमले में पाकिस्तान की भूमिका खुलकर सामने आई

2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2019 में पुलवामा में हुए हमले में पाकिस्तान की भूमिका खुलकर सामने आई है। वह आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराता है। जैश प्रमुख मसूद अजहर इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है।

पाकिस्तान क्यों चाहेगा कि अफगान में तालिबान कमजोर हों, पाक का प्रभाव कम हो

पाकिस्तान को लेकर दुनिया की यह गलत धारणा है कि वह अफगानिस्तान में संघर्ष की स्थिति को खत्म कराने में सहयोग देगा। वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा। अखबार के अनुसार वास्तव में पाकिस्तान तालिबान पर अपने प्रभाव के बूते पर अफगानिस्तान को लेकर चल रही शांति वार्ता में शामिल है। ऐसे में पाकिस्तान क्यों चाहेगा कि अफगानिस्तान में तालिबान कमजोर हों और पाकिस्तान का प्रभाव कम हो। वह तालिबान की ताकत में और इजाफा कर उस पर नियंत्रण के अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल हमेशा ब्लैकमेलिंग के लिए करेगा।

जम्मू-कश्मीर और अफगानिस्तान में हमेशा हिंसा को बढ़ावा देगा पाक

इस तरह पाकिस्तान अफगानिस्तान मसले पर हमेशा ही डबल गेम करेगा और अपना अहमियत बनाए रखेगा। पाकिस्तान का आतंकी संगठनों का इस्तेमाल उसकी राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है। इसी नीति से वह अफगानिस्तान और जम्मू-कश्मीर में कार्य कर रहा है। 


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