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29 जून से खुलेगा करतारपुर साहिब कॉरिडोर, सभी सिख श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति

करतारपुर साहिब कॉरिडोर को 29 जून से खोलने का फैसला लेते हुए पाकिस्तान ने सभी सिख श्रद्धालुओं के प्रवेश की भी सहमति दी है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 11:32 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 11:32 AM (IST)
29 जून से खुलेगा करतारपुर साहिब कॉरिडोर, सभी सिख श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति
29 जून से खुलेगा करतारपुर साहिब कॉरिडोर, सभी सिख श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति

इस्लामाबाद,एएनआइ। महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के मद्देनजर पाकिस्तान ने 29 जून से सभी सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने का फैसला लिया गया है। इसके लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

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पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर के जरिए इस बात की जानकारी दी ओर लिखा, 'दुनिया भर में धार्मिक स्थलों के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। अब पाकिस्तान भी करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने की तैयारी कर रहा है। इसकी जानकारी भारत को भी दे दी गई है।' विदेश मंत्री ने आगे कहा, 'हम 29 जून को महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के मौके पर इसे सभी सिख श्रद्धालुओं के लिए खोलने की तैयारी कर रहे हैं।

कोविड-19 के कारण भारत सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर को 16 मार्च से बंद कर दिया था। जिसके बाद पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के जाने पर रोक लग गई थी। पैसेंजर टर्मिनल पर तैनात कस्टम व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कॉरिडोर तब तक बंद रहेगा, जब तक नॉवेल कोरोना वायरस का खतरा कम नहीं हो जाता। उल्लेखनीय है कि 72 साल के इंतजार के बाद वर्ष 2019 में 9 नवंबर को यह कॉरिडोर खुला था। कॉरिडोर खुलने के बाद 128 दिनों में 62 हजार 2 सौ 6 लोगों ने गुरुद्वारा साहिब के दर्शन किए।

गुरू नानक देवजी के 550वीं जयंती पर 9 नवंबर 2019 को करतारपुर साहिब गुरूद्वारे को खोला गया था। सिख समुदायों की ओर से यहां के लिए लंबे समय से वीजा फ्री करने की मांग की जा रही थी। यह सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में शुमार है। उल्लेखनीय है कि ​गुरुद्वारे से भारत की दूरी नाममात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर ​है।

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे। माना जाता है कि गुरु नानक यहां अपनी जिंदगी के अंतिम 18 साल तक यही रहे थे। करतारपुर में एक गुरुद्वारे का निर्माण हुआ था जहां गुरु नानक देव का देहावसान हुआ था। 


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