Move to Jagran APP

टीटीपी के साथ बातचीत पर घिरी पाकिस्तान सरकार, विपक्ष ने की इमरान खान की आलोचना

विपक्ष ने इमरान खान के इस कदम को मृत सैनिकों के परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने के समान करार दिया और खान से सवाल किया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर उन्होंने पाकिस्तान की संसद को विश्वास में क्यों नहीं लिया।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 10:36 AM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 10:36 AM (IST)
टीटीपी के साथ बातचीत पर घिरी पाकिस्तान सरकार, विपक्ष ने की इमरान खान की आलोचना
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से बातचीत को लेकर इमरान खान से विपक्ष ने सवाल किया है।

इस्लामाबाद, एएनआइ। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से बातचीत को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान से विपक्ष के निशाने पर आ गए है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने शुक्रवार को इमरान खान के बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार प्रतिबंधित टीटीपी के कुछ समूहों के साथ बातचीत कर रही है।

loksabha election banner

विपक्ष ने इमरान खान के इस कदम को मृत सैनिकों के परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने के समान करार दिया और खान से सवाल किया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर उन्होंने पाकिस्तान की संसद को विश्वास में क्यों नहीं लिया। डान की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले शुक्रवार को खान ने कहा था कि सरकार टीटीपी सदस्यों को माफ कर देगी।

खान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पीपीपी के उपाध्यक्ष शेरी रहमान ने पूछा कि क्या उन्होंने इस बारे में संसद की राय ली है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से संसद में उन शर्तों को स्पष्ट करने के लिए भी कहा जिसके तहत टीटीपी के साथ बातचीत की जा रही थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, पीपीपी महासचिव नैय्यर बुखारी ने कहा कि टीटीपी के साथ बातचीत की खान की घोषणा बहुत संवेदनशील बयान है और इस पर चर्चा के लिए तत्काल संसद का सत्र बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने इमरान खान पर संसद को बाईपास करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया, 'संसद और राजनीतिक दलों से टीटीपी के साथ बातचीत के बारे में क्यों छिपाया गया।

इससे पहले शुक्रवार को इमरान खान ने कहा था कि सरकार प्रतिबंधित टीटीपी के कुछ समूहों के साथ बातचीत कर रही है। इसके अलावा, खान ने स्पष्ट किया कि वह बातचीत से समझौते की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन फिर भी कुछ भी निश्चित नहीं है। वह बातचीत को ही एकमात्र समाधान के रूप में देखते है और अगर कोई समझौता होता है तो वह टीटीपी को 'माफ' करने को तैयार है।

तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को सावधानी से चलने के लिए आगाह किया है और इस्लामाबाद को अफगान मुद्दे को अधिक सरल बनाने से बचने के लिए कहा है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रमों ने टीटीपी सदस्यों को प्रोत्साहित किया है और वे पाकिस्तान में पश्तूनों के शासन को महसूस करना चाहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.