पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ बोले- टीटीपी सदस्यों को माफ करने का कोई फैसला नहीं
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Pakistan NSA Moeed Yusuf) मोईद यूसुफ ने कहा है कि प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सदस्यों को माफी देने के लिए अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ ने कहा है कि प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सदस्यों को माफी देने के लिए अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। डान न्यूज के कार्यक्रम 'लाइव विद आदिल शाहजेब' को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह टिप्पणी की। यूसुफ ने कहा, सरकार इस बात से अवगत है कि टीटीपी के साथ इस संबंध में पहले से कोई समझौता नहीं है। मौजूदा स्तर पर बातचीत हो रही है और सरकार यह देखेगी कि मामले पर टीटीपी गंभीर है या नहीं।
उन्होंने कहा, यह एक भावनात्मक मुद्दा है। देश में ऐसा कोई भी नागरिक नहीं है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवाद से प्रभावित न हुआ हो। हालांकि पाकिस्तान सरकार और टीटीपी पूर्ण युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। बता दें कि टीटीपी पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में 2007 से सक्रिय है और देश में कई हमलों व धमाकों में शामिल रहा है।
इस बीच पाकिस्तान ने आतंकियों के सामने घुटने टेकते हुए तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) चीफ के बाद उसके 54 सदस्यों को भी आतंकी सूची से हटा दिया है। इस संबंध में पंजाब गृह विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है जिसमें जानकारी दी गई है कि जिन टीएलपी सदस्यों के नामों को आतंकवाद रोधी अधिनियम 1997 की चौथी अनुसूची से हटाया गया है उनमें 28 रावलपिंडी के, 14 चकवाल के और 11 अटोक के हैं जबकि एक सदस्य झेलम का है। बता दें कि सरकार ने बुधवार को टीएलपी चीफ हाफिज मुहम्मद साद का नाम आतंकी सूची से हटा दिया था।
आतंकवाद रोधी अधिनियम 1997 के अनुसार जिन आतंकियों के नामों को चौथी अनुसूची में रखा जाता है वे अपने स्थायी निवास को छोड़ने और लौटने से पहले पुलिस को सूचित करने के लिए बाध्य हैं। इस निगरानी सूची में रखा गया कोई भी व्यक्ति देश नहीं छोड़ सकता है, क्योंकि उसका नाम निकास नियंत्रण सूची (ईसीएल) में भी दर्ज कर लिया जाता है। बता दें कि टीएलपी समर्थक पैगंबर मुहम्मद के कैरिकेचर को लेकर फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे थे। उसके बाद देश में काफी हिंसा हुई थी जिसके बाद इस साल अप्रैल में सरकार ने टीएलपी पर प्रतिबंध लगा दिया था।