इमरान सरकार के साथ समझौते के बाद टीएलपी के 39 कार्यकर्ताओं को मिली जमानत
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और इमरान सरकार के बीच समझौते के एक हफ्ते बाद कट्टरपंथी संगठन के कम से कम 39 कार्यकर्ताओं को शनिवार को लाहौर में एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने जमानत दे दी। स्थानीय मीडिया की इसकी सूचना दी।
लाहौर, एएनआइ। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और इमरान सरकार के बीच समझौते के एक हफ्ते बाद कट्टरपंथी संगठन के कम से कम 39 कार्यकर्ताओं को शनिवार को लाहौर में एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने जमानत दे दी। स्थानीय मीडिया की इसकी सूचना दी। जमानत पर छूटे नेताओं में मौलाना फारूक उल हसन, गुलाम गौस बगदादी, पीर जहीर उल हसन और मौलाना शरीफुद्दीन शामिल है। समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने शनिवार को सुनवाई के दौरान इनको को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने सभी टीएलपी कार्यकर्ताओं को एक-एक लाख रुपये के जमानती बांड जमा करने का भी निर्देश दिया है। पिछले महीने प्रदर्शन के दौरान टीएलपी के कई सदस्यों की पुलिस से झड़प के बाद, उनके खिलाफ हिंसा और आतंकवाद भड़काने की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। विरोध के दौरान 11 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। मंगलवार को अडियाला जेल से टीएलपी के 99 कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया।
समा टीवी ने कहा कि इसके अलावा इस्लामाबाद के जिला प्रशासन ने भी 41 समर्थकों की रिहाई के आदेश जारी किए। पंजाब सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में हिरासत में लिए गए 800 से अधिक टीएलपी कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया। इनको गिरफ्तारी के बाद 15 जिलों में रखा जा रहा था।
31 अक्टूबर को पाकिस्तान सरकार की वार्ताकारों की टीम ने दावा किया कि वे प्रतिबंधित संगठन के साथ आम सहमति पर पहुंच गए हैं, लेकिन विवरण देने से मना कर दिया। इसमें प्रभावशाली मौलवी शामिल थे। डान के अनुसार टीएलपी नेतृत्व को आश्वासन दिया गया था कि पाकिस्तान सरकार उनके खिलाफ छोटे-मोटे मामलों को आगे नहीं बढ़ाएगी, लेकिन आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत दर्ज मामलों का फैसला अदालतों द्वारा किया जाएगा। सरकार ने टीएलपी को यह भी आश्वासन दिया कि उन पर से प्रतिबंध हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।