और इस तरह कुछ समय के लिए इस शख्स के सिर से टल गई मौत! जानें पूरा मामला
कोर्ट लखपत जेल में बंद हयात की जिंदगी और मौत के बीच का दायरा फिलहाल कुछ समय के लिए बढ़ गया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लाहौर के कोट लखपत में स्थित सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी खिज्र हयात की जिंदगी और मौत के बीच का फासला कोर्ट के एक आदेश की वजह से कुछ समय के लिए बढ़ गया है। उसको 15 जनवरी 2018 को सेंट्रल जेल में फांसी देने की लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। सुप्रीम कोर्ट की डबल बैंच ने आज एक सुनवाई के दौरान इस मामले को बड़ी बैंच को सौंपने का फैसला किया है। लिहाजा उसकी फांसी फिलहाल अगले आदेश तक के लिए टल गई है। इस मामले शनिवार को देश के मुख्य न्यायधीश साकिब निसार ने मामले का खुद संज्ञान लेते हुए इसको डबल बैंच को सौंप दिया था।
हत्या के जुर्म में दोषी है हयात
हयात को अपने अधिकारी की गोली मारकर हत्या करने के जुर्म में पहली बार निचली अदालत से वर्ष 2003 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। उस पर जेल में ही कई कैदियों ने मिलकर जानलेवा हमला किया था जिसके चलते उसको सिर में गहरी चोट आई थी। 2008 में पहली बार डॉक्टरों ने उसकी जांच की थी इसमें यह बात सामने आई थी कि इसकी तुरंत सर्जरी करनी जरूरी है, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। इसका नतीजा ये हुआ कि हयात की दिमागी हालत बेहद खराब हो गई। 2010 में डॉक्टरों ने उसको जेल से स्पेशल ट्रीटमेंट के लिए दूसरी जगह शिफ्ट करने को कहा था, लेकिन इस पर भी कुछ नहीं हुआ। इस दौरान हयात की मां की तरफ से बार-बार उसकी जांच और इलाज कराने की गुहार लगाई जाती रही, लेकिन जेल अधिकारियों की तरफ से इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
हयात की मां की गुहार
हयात की मां की तरफ से जेल अधिकारियों से गुहार लगाई कि दिमागी रूप से विकलांग किसी भी कैदी को फांसी देना न सिर्फ देश बल्कि अंतररार्ष्टीय कानून का भी उल्लंघन है। हयात की मां की तरफ से एक गैर सरकारीीस संस्था चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान को गुहार लगाई गई है कि वह खुद कोर्ट लखपत जेल का निरिक्षण कर यहां दिमागी रूप से कमजोर कैदियों पर गौर करें। इसके अलावा एक अपील में जेल से हयात का मेडिकल रिकॉर्ड और उन दवाओं की जानकारी भी मांगी गई है जो हयात को दी जा रही हैं। साथ ही ये भी पूछा गया है कि आखिर दवा देने के बाद भी हयात की हालत में सुधार क्यों नहीं हो रहा है और उसकी हालत बद से बदत्तर क्यों होती जा रही है।
जेपीपी उठा रही मांग
इस मामले को लगातार उठा रही जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान (जेपीपी) संस्था की तरफ से हयात को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चलाई जा रही है। इसके अलावा संविधान की धारा 45 के अंतर्गत राष्ट्रपति से माफी दिलवाने की गुहार भी लगाई गई है। जेपीपी की तरफ से पिछले वर्ष दिसंबर में लाहौर हाईकोर्ट में इस मामले की तुंरत सुनवाई की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया था। जेपीपी की तरफ से हयात को जारी किए गए डेथ वारंट को भी नियमों के खिलाफ बताया गया है।
आसिया के बाद चर्चा में है हयात
आपको बता दें कि हयात का मामला इन दिनों पाकिस्तान में खूब चर्चा में बना हुआ है। इस मामले मे अब हर किसी नजर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी है। इससे पहले ईशनिंदा कानून के तहत निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराई गई आसिया बीबी का मामला काफी सुर्खियों में रहा था। उसको इस कानून के तहत फांसी की सजा दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसको ईशनिंदा के आरोपों से बरी कर दिया था, जिसका कई जगहो पर विरोध हुआ था। इस पूरे प्रकरण के दौरान आसिया ने करीब आठ वर्ष जेल में गुजारे थे।
अफगानिस्तान में बच्चों के साथ होता खौफनाक खेल, गवाह हैं सलाखों के पीछे बंद कई बच्चे
80 के पार होने के बाद भी इन नेताओं के भारतीय राजनीति में कम नहीं हुई है धमक
इस विमान से महज तीन घंटे में तय होगी लगभग 6 हजार किमी की दूरी, किराया भी होगा कम
Exclusive: 20 साल के बाद पहली बार सामने आई भारत के इस वर्जिन लैंड की तस्वीरें