Move to Jagran APP

जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर पाकिस्‍तान के हाथ पांव ढीले, अब केवल कूटनीति का ही सहारा : अमेरिकी रिपोर्ट

कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (Congressional Research Service CRS) की रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर जवाब देने के लिए पाकिस्‍तान के पास विकल्‍प सीम‍ित हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 02:15 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 02:53 PM (IST)
जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर पाकिस्‍तान के हाथ पांव ढीले, अब केवल कूटनीति का ही सहारा : अमेरिकी रिपोर्ट

वाशिंगटन, पीटीआइ। जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद-370 को हटाए जाने से बौखलाए पाकिस्‍तान के पास भारत के फैसले पर जवाब देने के विकल्‍प बिल्‍कुल सीम‍ित हैं। अमेरिका की एक कांग्रेशनल रिपोर्ट (US Congressional report) में कहा गया है कि पाकिस्‍तान के पास सैन्‍य कार्रवाई का विकल्‍प नहीं है क्‍योंकि उसकी क्षमता में भारी गिरावट आई है। ऐसे में वह अब केवल कूटनीति पर ही निर्भर रह सकता है।  

loksabha election banner

कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (Congressional Research Service, CRS) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई विश्‍लेषकों का मानना है कि जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर पाकिस्‍तान के पास कूटनीति का जो विकल्‍प मौजूद है वह भी इतना आसान नहीं है। इसके पीछे की वजह में बताया गया है कि पाकिस्‍तान का आतंकी संगठनों को गुपचुप समर्थन देने का इतिहास भी लंबा रहा है जिसे देखते हुए उसकी विश्वसनीयता कम हो गई है। 

जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर CRS की इस दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि हालि‍या वर्षों में सैन्य कार्रवाई के जरिए वस्‍तुस्थित बदलने की पाकिस्तान की क्षमता में भी गिरावट आई है। यानी स्‍पष्‍ट है कि जम्‍मू-कश्‍मीर के मसले पर अब वह मुख्य रूप से कूटनीति के भरोसे ही रह सकता है। वहीं पांच अगस्त यानी अनुच्‍छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर भी अलग-थलग दिखा। यहां तक कि तुर्की को छोड़कर मुस्लिम मुल्‍कों ने भी उसका समर्थन नहीं किया। 

सीआरएस (Congressional Research Service, CRS) यानी कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस की स्वतंत्र रिसर्च विंग है। यह अमेरिकी सांसदों के सुझाए मसलों पर रिपोर्टें तैयार करती है। CRS की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने से पाकिस्‍तान की साख को और ज्‍यादा बट्टा लगेगा और उसको अंतरराष्ट्रीय रूप से कीमत चुकानी पड़ेगी। मालूम हो कि पिछले साल पांच अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 को हटा दिया था जिसके बाद पाकिस्तान से उसके रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.